Faridabad NCR
पत्रकार पूजा तिवारी मामला, पुलिस इंस्पेक्टर अमित कुमार बरी

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 7 मार्च। इंदौर की रहने वाली चर्चित पत्रकार पूजा तिवारी (27) के आत्महत्या मामले में 9 साल बाद फैसला आया। अडिशनल सेशन जज एसके शर्मा की कोर्ट ने बुधवार को आरोपी हरियाणा पुलिस इंस्पेक्टर अमित कुमार को बरी कर दिया। एफआईआर और पूजा तिवारी के स्यूसाइड नोट में आरोपी का नाम न होने व क्राइम सीन रिक्रिएट में आरोपी की भूमिका नहीं मिलने की वजह से यह फैसला सुनाया गया। अमित कुमार के वकील ने बहस के दौरान इन्हीं दलीलों को कोर्ट के सामने रखा था। वहीं, दूसरी ओर मृतका के पिता रवि तिवारी का कहना है कि केस को इतने लंबे समय तक लटकाया गया। उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला।
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल भारद्वाज, एडवोकेट दीपक, पालीवाल एडवोकेट, विकल्प मिश्रा, केस के दौरान एडवोकेट दुष्यंत शर्मा एवं एडवोकेट प्रिया का भी सहयोग रहा उपस्थित अधिवक्ताओं ने बताया कि पत्रकार पूजा तिवारी का हम लोगों के बीच से यूं चले जाना हम सबके लिए दुखद बात है और दोषियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए इंस्पेक्टर अमित कुमार का नाम एफआईआर में नहीं है और न ही सुसाइड नोट में था उसके बावजूद मनगढ़ंत कहानी बना करके अमित कुमार को आरोपित किया गया जो न्यायालय में हमने सिद्ध भी किया है एक सवाल के जवाब में एडवोकेट अनिल भारद्वाज ने बताया कि पत्रकार पूजा तिवारी ने डॉक्टरों के खिलाफ स्ट्रिंग ऑपरेशन किया था, उसे न दिखाने का प्रेशर था। जबकि वह पहले ही उस खबर को ऑन एयर कर चुकी थी। ऑन एयर होने के बाद उस पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर केस दर्ज करा दिया गया, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गई थी। पूजा ने अपने स्यूसाइड नोट में भी अपने खिलाफ दर्ज केस का जिक्र किया था। इन्हीं तमाम तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट के सामने अपने तर्क प्रस्तुत किए। एडवोकेट अनिल भारद्वाज ने बताया कि यह हाई प्रोफाइल केस था मृतका के पिता द्वारा दर्ज की गई शिकायत में आरोपी थे और पीडि़ता द्वारा अपने सुसाइड नोट में आत्महत्या करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था केस दौरान दो अलग-अलग एफएसएल रिपोर्ट द्वारा सुसाइड नोट के वास्तविकता की पुष्टि की गई द्यहमने इस केस में दौरान ट्रायल,माननीय न्यायालय से एफ.आई.आर. मे नामजद अभियुक्तों व चार्जशीट के खाना नंबर दो मे नामजद डॉ. धवल, डॉ. अनिल गोयल, डॉ. अर्चना गोयल एवं अभियुक्तग़णो के ऊपर भी मुकदमा चलाने का निवेदन किया था पर वादी पक्ष ने इसका विरोध किया था जबकि वादी पक्ष के बयान, एफ. आई. आर.व मृतका के सुसाइड नोट के अनुसार सीधे-सीधे आरोप उपरोक्त अभियुक्तगणो के विरुद्ध थे।
आरोपित अमित कुमार के खिलाफ कोई भी अपराध साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं पेश कर सके द्य मुकदमे में पाया गया कि इंस्पेक्टर अमित को बिना किसी आधार के गिरफ्तार किया गया था कोर्ट ने आरोपी इंस्पेक्टर अमित कुमार को आरोपों से बरी कर दिया।