Faridabad NCR
मानने से भगवान, बुद्धि से ज्ञान की प्राप्ति होती है : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : धर्म मार्ग में चलने वाले व्यक्ति को मानने से भगवान की प्राप्ति होती है, वहीं बुद्धि का प्रयोग करने वाले को ज्ञान की प्राप्ति होती है लेकिन जो न मानते हैं और न ही जानते हैं, उन्हें बार बार मृत्युलोक में आना पड़ता है। यह बात श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम (श्री सिद्धदाता आश्रम) के अधिपति जगदगुरु स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने आज यहां आयोजित दशहरा पर्व में कही।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गुरु की युक्ति है कि भगवान मानने योग्य हैं, उन्हें मानोगे तो वह प्राप्त हो जाएंगे और भगवान को मानने के लिए भक्ति सरल उपाय है। भगवान अपने भक्तों से सदा ही प्रसन्न रहते हैं और उन्हें बार बार वर मांगने को कहते हैं। वहीं जो लोग भगवान को जानने का प्रयास करते हैं, वह भगवान को देख सकते हैं। उनको भगवान अनुभव होते हैं। यह बुद्धि का प्रयोग करने वाले लोग हैं, जो ज्ञान द्वारा भगवान को देखते हैं। परन्तु जो लोग न भगवान को मानना चाहते हैं और न ही जानना चाहते हैं, वह अनंतकाल तक कष्टों को सहन करते हुए मृत्युलोक में चक्कर काटते हैं और अन्य लोगों को दोष देते हैं।
श्री गुरु महाराज ने अनेक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि भक्त, भक्ति और भगवान साथ साथ रहते हैं। जब व्यक्ति भगवान की भक्ति करता है तो भगवान उसे मिल ही जाते हैं। समस्त समाज उसका उपहास भी करता है तो भी वह धर्म मार्ग पर चलता रहता है और एक दिन लोग उसका अनुसरण करते हैं। स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने सभी को श्री दुर्गा नवमी और दशहरा की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज सिद्धों को भी देने वाली सिद्धिदात्री का दिन है, उसके पति सिद्धदाता यानि नारायण के नाम पर ही गुरु महाराज ने आश्रम का नाम सिद्धदाता आश्रम रखा है। यहां पर आने वालों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी ही, इसमें कोई संशय नहीं है। गुरुजी ने कहा कि महान विद्वान रावण से एक गलती हो गई और हम आज तक उसके पुतले फूंकते हैं क्योंकि उसमें अहंकार आ गया था। आज दशहरा उत्सव में अपने अहंकार को यज्ञकुंड में आहूति के साथ डालकर भगवान के भक्त बन जाओ। फिर रास्ते अपने आप बनने लगेंगे।
इससे पहले उन्होंने दिव्यधाम में भगवान की लक्ष्मीनारायण जी, समाधि स्थल पर वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज एवं प्रवचन मंच पर श्री ठाकुर जी की आराधना की। उन्होंने यहां यज्ञशाला में बने नवकुंडों पर भक्तों के संग आहूति देकर जनकल्याण के लिए कामना की। यहां पहुंचे असंख्य भक्तों ने प्रवचन सुने और श्री गुरु महाराज जी से आशीर्वाद एवं प्रसाद प्राप्त किया और हवन में आहूतियां दीं। भक्तों ने लंगर प्रसाद और छबीलों पर उपलब्ध भोजन प्रसाद भी ग्रहण किया। कार्यक्रम में जयपुर से आए भजन गायक लोकेश शर्मा एवं साथियों ने सुमधुर भजनों से समां बांध दिया।