Faridabad NCR
लिंग्याज कर रहा है लेड फ्री प्रोजेक्ट पर काम
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : लिंग्याज डीम्ड–टू–बी–यूनिवर्सिटी हमेशा कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश में लगा रहता है और उनकी ये कोशिश रंग भी लाती है। इस बार लिंग्याज सरकार के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जिससे लोगों को कुछ नया देखने को मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर आपके घरों का बिजली का बिल भी कम होगा और कई तरह के उपकरणों में भी कुछ नया बदलाव दिखेगा।
इस प्रोजेक्ट मेंलिंग्याजने DRDO(डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन)और NPL (राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला) के साथ टाइअप किया है। इस टाइअप से नाकी सरकार को बल्कि आम जनता को भी फायदा मिलेगा। इसके लिए लिंग्याज ने पीजोइलेक्ट्रिक एनर्जी हार्वेस्टिंग में काम आने वाले लेड सामग्री को बदलकर लेड फ्री सामग्री का इस्तेमाल करेगा। जिस पर काम करना शुरू हो चुका है। इसके जरिए बैट्री को रिपलेस कर पीजोइलेक्ट्रिक सैल का उपयोग किया जा सकेगा। इससे बिजली में भी बचत होगी और बिल भी कम आयेगा। स्कूल ऑफ बेसिक एंड एपलाइड फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ. राधेश्याम राय ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कुछ पीएचडी स्टूडेंटस भी काम कर रहे। वही लिंग्याज ग्रुप के चेयरमैन डा. पिचेश्वर गड्डेका कहना है कि सरकार के साथ मिलकर काम करना बड़ी बात है। काम शुरू हो चुका है। जल्द ही सबको इसका रिजल्ट दिखेगा। पीजोइलेक्ट्रिक एनर्जी हार्वेस्टिंग में इस्तेमाल होने वाला लेड मैटेरियल हमारे शरीर के लिए बेहद ही खतरनाक होता है। इससे कैंसर, किडनी फेल, सांस लेने में परेशानी या यूं कहें कि हमारे शरीर के वे मुख्य अंग जिससे हमारी शरीर काम करता है। उन घरेलू जरूरत मंद चीजों में जिनमें लेड मैटेरिल का उपयोग होता है। वे सभी धीरे-धीरे हमारे शरीर पर खतरनाक असर डालती है।
पीजोइलेक्ट्रिक क्या है-
कुछ ठोस पदार्थों (जैसेक्रिस्टल, सिरैमिक्स, पोलिमर, आदि जैविक पदार्थ) पर यांत्रिक प्रतिबल (स्ट्रेस) लगाने पर उन पर आवेश एकत्र हो जाता है। इसी कोदाबविद्युत (Piezoelectricity) कहते हैं तथा इस प्रभाव का नामदाबविद्युत प्रभाव (पिजोएलेक्ट्रिक इफेक्ट) है।दाबविद्युत के बहुत से उपयोग हैं।जैसे अल्ट्रासोनिक ड्राईक्लिनर, मेडिकल उपकरणों गैस लैइटर आदि।इस मैटेरियल का इस्तेमाल मिलिट्री टॉर्च, घड़ी, सेटेलाइट आदी कई उपकरणों में भी किया जाता है।