Faridabad NCR
भागवत कथा का श्रवण करने से जीवन तर जाता है : विजय प्रताप सिंह
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 14 मई। एन.एच 3 स्थित सनातन धर्म मंदिर में विश्व शांति हेतु आयोजित श्रीमद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में शुक्रवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे विजय प्रताप सिंह ने शिरकत की और भागवत कथा का श्रवण किया। कथा वाचक पं. शुकदेव जी महाराज ने उनका मंच पर स्वागत किया और 11 हजार रुपए की सहयोग राशि प्रदान की। इस अवसर पर विजय प्रताप सिंह ने कथा वाचक पं. शुकदेव जी महाराज, कार्यक्रम के आयोजक पं. सुरेन्द्र शर्मा, निझावन जी, महिपाल भाटी सहित सभी श्रोतागणों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमारा 3 पीढीयों से टाउन में आना-जाना रहा है और लोगों का आशीर्वाद हमेशा हमें मिलता रहता है। विजय प्रताप ने ठाकुर जी का आशीर्वाद ग्रहण किया और श्रोतागणों को भागवत कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे इतिहास में ऐसे महापुरुष हुए हैं, जो इस तरह गुण गए कि इंसान होते हुए भी उनको भगवान का दर्जा दिया गया, क्योंकि ये प्रकृति से प्राप्त तीन गुण सम, रज और तप से परिपूर्ण थे। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी, वेद व्यास जी ने महाभारत लिखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनी नासा के वैज्ञानिक जो खोज करते हैं, वह भी हमारे महापुरुषों की किताबों का अध्ययन करके अपनी खोज करते हैं। वेद व्यास जी ने पूरे ब्रह्मण्ड का ज्ञान लिखा, ग्रंथ लिखे, लेकिन उनके मन को शांति नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने एक दिन नारद जी से पूछा कि मैंने ज्ञान तो इतना लिख दिया, मगर मेरे मन को शांति नहीं मिली। तो नारद जी ने कहा कि शांति तो भक्ति में है। जब आप ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाते हैं, तो आपके मन को शांति मिलती है। इसके बाद वेद व्यास जी ने भागवद कथा लिखी, तब जाकर उनके मन को ह्रदय को शांति मिली। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भागवत कथा का पाठ करने वाले का जीवन तर जाता है और उसमें थोड़ा सा भी अमल कर लें, तो हम समाज में खुशियां ला सकते हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या। इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। इस शानदार आयोजन के लिए उन्होंने सभी को बधाई दी।