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Faridabad NCR

स्कूलों व स्लम एरिया में जाकर टीबी, एचआईवी और लेप्रोसी के बारे लोगों करें जागरूक : एडीसी आनन्द शर्मा

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 21 सितंबर। एडीसी आनंद शर्मा ने कहा कि जिला में  कुष्ठ रोगियों (लेप्रोसी) की कुष्ठ रोगी खोज अभियान को पूर्ण रूप से चलाए। आरबीएसके डॉक्टर की टीम ज्यादा से ज्यादा स्कूलों व स्लम एरिया में जाकर टीबी, एचआईवी और लेप्रोसी के बारे में लोगों को बताएं और जागरूक करें। पोलियो अभियान में जिस तरह का माइक्रोप्लान यूज किया जाता है। उसी की तर्ज पर इसमें भी काम करें। सभी टीमों के कार्य का आकलन रैंकिंग अनुसार किया गया अच्छे कार्य करने वाली टीम को सराहा गया एवं कम प्रगति वाली टीमों को कार्य में सुधार लाने के लिए सख्त निर्देश दिए।

एडीसी आनंद शर्मा आरबीएसके डॉक्टरों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में किया गया। जहां पर एडीसी कार्यशाला में उपस्थित चिकित्सकों और अन्य लोगों को यह दिशा-निर्देश दे रहे थे। जिसमें डॉ सिद्धि, डॉ तौसीफ और डॉ मनजिंदर ने क्रमानुसार आरबीएसके की टीमों को कुष्ठ रोग की पहचान, टीबी के लक्षणों, नवजात बच्चों में आंखों, कानो, पैरो में होने वाली बीमारियों के बारे में बताया।

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डॉ. तोसीफ ने विटामिन ए, बी और सी की कमी के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि विटामिन ए की कमी से आंखों से जुड़ी परेशानियां, रतौंधी और आंख के सफेद हिस्से में धब्बे की समस्या, त्वचा से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती है। वहीं  विटामिन बी की कमी से बेरी बेरी होता है। इसके अलावा एनीमिया और मानसिक समस्याएं होने की संभावना ज्यादा होती है। मसूड़ों में सूजन और खून का आना भी विटामिन सी की कमी से होता है।

डॉ. सिद्धि ने कार्यशाला में नवजात शिशु की आंखों में मोतियाबिंद से संबंधित समस्या के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आंख की पुतली में धुंधला या अपारदर्शी दिखना, स्ट्रबिस्मुस (आंखों को पार करना) या आंखों का खराब संरेखण, पुतली पर सफेद या ग्रे रंग दिखना यह आंख में मोतियाबिंद का लक्षण हो सकता है। यदि किसी शिशु के मोतियाबिंद पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकता है। सबसे खराब स्थिति में, वे पूर्ण अंधापन का कारण बन सकते हैं।

डॉ. मनजिंदर ने पैरों के आकार में गड़बड़ी, अन्य हड्डियों और जोड़ों के आकार में गड़बड़ियों, रिकेट्स, हड्डियों का संक्रमण, कुपोषण के कारण पेशियों का खत्म हो जाना, पेशीविकृति जैसी समस्याओं ने बारे में अवगत कराया।

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