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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने एक एडवांस्ड और मिनिमल इनवेसिव माइट्राक्लिप प्रक्रिया का उपयोग करके एक्यूट वाल्व रिगर्जिटेशन से गंभीर रूप से बीमार 78 वर्षीय मरीज की जान बचाकर एक उपलब्धि हासिल की

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 5 जुलाई। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के कार्डियक साइंसेज विभाग ने वाल्व रिगर्जिटेशन (पूरी तरह बंद न होने के कारण वाल्व से खून का रिसाव होना) से पीड़ित 78 वर्षीय मरीज पर एक जटिल और चुनौतीपूर्ण इलाज संबंधित प्रोसीजर किया। यह माइट्राक्लिप डिवाइस की मदद से एक नई और तकनीकी रूप से एडवांस्ड नॉन-सर्जिकल मिट्रल वाल्व रिपेयर प्रोसीजर (मरम्मत प्रक्रिया) का उपयोग करके किया गया था।

यह प्रोसीजर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी एवं क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश राय सपरा ने किया।

78 वर्षीय मरीज पूनम देवी (बदला हुआ नाम), एक बुज़ुर्ग और बेहद कमजोर महिला थीं, जो फ्लैश पल्मोनरी एडिमा की समस्या के साथ डॉ राकेश राय सपरा के पास आई थीं। जाँच करने पर, पाया गया कि उन्हें कॉर्डे (वाल्व की सपोर्ट संरचना) के टूटने के कारण तीव्र गंभीर माइट्रल रिगर्जिटेशन (हार्ट वाल्व लीकेज) है। उनके फेफड़ों में पानी भर गया था, और उन्हें ऑक्सीजन युक्त रखना मुश्किल था। मरीज के नाजुक शरीर के कारण सर्जरी करना असंभव था। चिकित्सीय रूप से मरीज की हालत को सामान्य करने के बाद उन्हें माइट्राक्लिप प्रक्रिया के लिए ले जाया गया। प्रक्रिया सामान्य एनेस्थीसिया और ट्रांस इसोफेजियल 3डी इकोकार्डियोग्राफी निरीक्षण में की गई थी। प्रक्रिया के बाद वह चमत्कारी रूप से ठीक हो गईं और 2 दिनों में उन्हें छुट्टी दे दी गई।माइट्रल वाल्व की यह नॉन-सर्जिकल क्लिपिंग उनके लिए जीवन रक्षक साबित हुई और डॉक्टरों की टीम के लिए भी यह बेहद संतोषजनक बात थी।

वाल्व रिगर्जिटेशन, जिसे वाल्व की कार्य क्षमता में कमी या असमर्थता के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जहाँ हृदय के वाल्वों में से एक ठीक से बंद नहीं होता है, जिससे रक्त वाल्व के माध्यम से पीछे की ओर बहता है। रक्त का यह पीछे की ओर बहाव हृदय की रक्त को कुशलतापूर्वक पंप करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और विभिन्न लक्षणों और जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यदि रिसाव गंभीर है, तो उपचार विकल्पों में या तो ओपन-हार्ट सर्जरी के माध्यम से या फिर ट्रांसकैथेटर वाल्व इंटरवेंशन जैसी न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं के माध्यम से वाल्व की मरम्मत या रिप्लेसमेंट किया जा सकता है।

माइट्राक्लिप प्रक्रिया एक नई और तकनीकी रूप से एडवांस्ड मिमिनल इनवेसिव तकनीक है जिसका उपयोग माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन के इलाज के लिए किया जाता है। इसे ट्रांस कैथेटर एज टू एज रिपेयर (TEER) के रूप में भी जाना जाता है।माइट्रल वाल्व के दो किनारों की यह नॉन-सर्जिकल क्लिपिंग अल्फीरी स्टिच नामक दो लीफलेट की सर्जिकल स्टिचिंग की तरह की जाती है। माइट्राक्लिप का उपयोग उस गंभीर माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन रोग से पीड़ित लोगों के लिए किया जाता है जिस रोग पर दवाओं का असर पूरा नहीं होता है। लीक हो रहे वाल्व के लिए माइट्राक्लिप का उपयोग नॉन-सर्जिकल वाल्व थेरेपी में उन्नति का एक अनूठा उदाहरण है।माइट्राक्लिप प्रक्रिया चयनित वृद्ध रोगियों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकती है, जिन्हें सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए बहुत अधिक जोखिम होगा, जो लक्षणों और जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार करता है। इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सावधानीपूर्वक प्रीऑपरेटिव मूल्यांकन, सुधार करना, सावधानीपूर्वक प्रक्रिया की योजना बनाना और प्रक्रिया के बाद देखभाल आवश्यक है।

कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. राकेश राय सपरा कहते हैं, “एक दशक पहले, ओपन हार्ट सर्जरी के अलावा अन्य विकल्प नहीं थे। आज हृदय-संबंधी क्षेत्र में नई चिकित्सा तकनीकों की प्रगति के साथ, माइट्राक्लिप एक सरल, कम चीरफाड़ वाली और नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया है। माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन के लिए पहले के अधिक चीरफाड़ वाले उपचारों की तुलना में माइट्राक्लिप प्रक्रिया से कई महत्वपूर्ण लाभ हुए हैं। माइट्राक्लिप प्रक्रिया कराने वाले मरीज तेजी से ठीक होते हैं और सांस की तकलीफ, थकान और व्यायाम सहन न कर पाना जैसे लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव करते हैं। इससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।”

कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. राकेश राय सपराकहते हैं, “ऐसी स्थितियों में ओपन हार्ट सर्जरी कराने वाले मरीजों की तुलना में माइट्राक्लिप प्राप्त करने वाले मरीज अधिक समय तक जीवित रहे और उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन की कम या बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं पड़ी और वे वेंटिलेशन पर भी कम दिन रहे। इसके अलावा, ओपन हार्ट सर्जरी वाले मरीजों की तुलना में, माइट्राक्लिप वाले मरीज तेजी से ठीक हुए और मिट्रल क्लिप के बाद अस्पताल में रहने का औसत समय 2.4 दिन रहा।”

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं ग्रुप सीईओ डॉ. राजीव सिंघल कहते हैं, “हम अपने अस्पताल में माइट्राक्लिप प्रक्रिया शुरू करके बहुत खुश हैं, जो मिट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन के उपचार में एक नवीन प्रगति है। यह मिनिमल इनवेसिव तकनीक उन रोगियों को नई उम्मीद प्रदान करती है जो पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी को सहन नहीं कर सकते हैं।मिनिमल इनवेसिव तकनीक से उनके जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होता है, तथा रिकवरी का समय कम होता है और जोखिम भी कम होता है।हमारी समर्पित टीम हमारे समुदाय में नवीनतम चिकित्सा नवाचार लाने के लिए प्रतिबद्ध है, तथा यह सुनिश्चित करती है कि हमारे रोगियों को उच्चतम स्तर की देखभाल प्राप्त हो। अपने मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के हमारे निरंतर प्रयास में, यह फरीदाबाद में एक और उपलब्धि बन गई है, जिससे मरीजों को उनके घर के नजदीक बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त होगी।”

भारत विश्व स्तर पर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज या सीवीडी के सबसे अधिक रोगियों के लिए जाना जाता है। मौतों की बढ़ती संख्या के साथ, हृदय रोग (सीवीडी) के कारण होने वाली मृत्यु दर काफी चिंताजनक होती जा रही है, खासकर इसलिए क्योंकि यह बीमारी युवा आबादी में फैल रही है। सीवीडी रोगों की संख्या में वृद्धि के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जैसे बदलती जीवनशैली, मधुमेह रोगियों की अधिक संख्या, तनाव का उच्च स्तर, अनुचित आहार, उच्च कोलेस्ट्रॉल, तथा कई अन्य। आनुवंशिक विकार हमेशा सी.वी.डी. के लिए एक प्रमुख योगदान कारक होते हैं।

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