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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल तरीकों से मिर्गी के इलाज में मिली सफलता का जश्न मनाया

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 4 सितंबर। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल तरीकों की मदद से मिर्गी के इलाज में अपनी प्रगति का जश्न मनाया। ये अत्याधुनिक तकनीकें ड्रग–रेसिस्टेंट एपिलेप्सी (ऐसी मिर्गी जिस पर दवा का असर न होना) से पीड़ित रोगियों के लिए नई आशा प्रदान कर रही हैं तथा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए समाधान दे रही हैं।

विश्व में मिर्गी लाखों लोगों को प्रभावित करती है तथा बड़ी संख्या में रोगी केवल दवा के माध्यम से अपने दौरों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद मिर्गी को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने एवं उपचार के अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल तकनीकों को अपनाकर इस चुनौती से निपटने में सबसे आगे है।

यह हॉस्पिटल एडवांस्ड न्यूरो सर्जरी के साथ मिर्गी के उपचार में नया परिवर्तन ला रहा है, तथा इसके लिए कई अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल तरीकों को अपना रहा है, जो मिर्गी के उपचार में बदलाव ला रहे हैं। लेजर इंटरस्टिशियल थर्मल थेरेपी (एलआईटीटी) एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है जो दौरे पैदा करने वाले मस्तिष्क के टिश्यू (ऊतकों) पर सटीक निशाना लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए लेजर ऊर्जा का उपयोग करती है। रिस्पॉन्सिव न्यूरोस्टिम्यूलेशन (आरएनएस) एक अत्याधुनिक तकनीक है जो वास्तविक समय में मस्तिष्क की गतिविधि पर नज़र रखती है और दौरे आने से पहले उन्हें रोकने के लिए इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन (विद्युत उत्तेजना) प्रदान करती है। खासकर लोगों के लिए तैयार् की गई यह विधि मरीजों की विशेष जरूरतों के अनुसार निरंतर एडजस्टमेंट (व्यवस्थित) करने की अनुमति देती है और बार-बार दौरों के पड़ने और उनकी गंभीरता को काफी कम कर देती है। स्टीरियोटैक्टिक इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी): सईईजी एक एडवांस्ड डायग्नोस्टिक उपकरण है जो मस्तिष्क में दौरे की गतिविधि के सटीक स्थान का पता लगाने में मदद करता है। मिनिमली इनवेसिव इलेक्ट्रोड का उपयोग करके, न्यूरोसर्जन दौरे पड़ने वाली सटीक जगह के बारे में पता कर सकते हैं, जिससे सटीक सर्जिकल इलाज संभव हो सकता है और रोगियों के लिए परिणामों में सुधार हो सकता है। वेगस नर्व स्टिमुलेशन एक अन्य प्रक्रिया है जिसमें गर्दन में एक उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है जो वेगस नर्व (तंत्रिका) को इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है और दौरों की फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) को कम करने में मदद करती है। यह थेरेपी विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभदायक है जिनमें दौरे का फोकस मस्तिष्क में सटीक रूप से किसी एक जगह तक सिमित नहीं होता है।

डॉ. तरुण शर्मा, डायरेक्टर एवं एचओडी , ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा, “इन अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल उपचारों का मिर्गी रोगियों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। दौरों की फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) को कम करके, ये अत्याधुनिक तरीके मरीजों को अपने जीवन पर नियंत्रण पाने, आत्मविश्वास के साथ दैनिक क्रियाओं में शामिल होने, तथा अपने जीवन की सम्पूर्ण गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव करने में सक्षम बना रहे हैं। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने इन एडवांस्ड न्यूरोसर्जिकल उपचारों से गुजरने वाले मरीजों की सफलता की कई कहानियां देखी हैं। ये कहानियां उच्चतम स्तर की केयर प्रदान करने और अपने रोगियों को बेहतर परिणाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के हॉस्पिटल के समर्पण को दिखाती हैं।”

हर वर्ष मिर्गी के लगभग 125,000 नए मामले सामने आते हैं, जिनमें से 30% मामले 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में पाए जाते हैं। भारत में मिर्गी का फैलाव प्रति 1000 व्यक्तियों पर 3-11 मामले पाया जाता है, तथा घटना दर प्रति 1000 व्यक्तियों पर 0.2-0.6 मामले हैं। ऐसा अनुमान है कि विश्व भर में लगभग 50 मिलियन लोग मिर्गी (पी.डब्लू.ई.) से पीड़ित हैं। इस जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में रहता है। भारत में लगभग 10-12 मिलियन लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। मिर्गी को एक बहुत गंभीर बीमारी माना जाता है और इसके दौरों से लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। मिर्गी में मृत्यु होने का सबसे आम कारण अनियंत्रित दौरों पड़ना है, जिसके कारण हृदय-श्वसन प्रणाली रुक जाती है।

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