Faridabad NCR
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया और विभिन्न परिस्थितियों का सामना करने के तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 9 सितंबर। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ मनाया और हेल्थ केयर प्रोवाइडर द्वारा सेवा प्रदान किए आने वाली सोसाइटी में आत्महत्या की रोकथाम पर जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की। 10 सितंबर को, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद दुनिया भर के लाखों लोगों के साथ विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाएगा। यह दिन आत्महत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने, इसके इर्द-गिर्द व्याप्त स्टिग्मा (कलंक) को कम करने तथा इस संदेश को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है कि आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। इस वर्ष की थीम, “चेंजिंग द नैरेटिव ऑन सुसाइड” सक्रिय भागीदारी के माध्यम से आत्मविश्वास और आशा को प्रेरित करने के महत्व पर जोर देती है। इस विभाग का नेतृत्व डॉ. जया सुकुल, कंसल्टेंट एवं एचओडी, क्लिनिकल साइकोलॉजी द्वारा किया जाता है।
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद इस वैश्विक प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए समर्पित है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2024-2026 का त्रिएंनियल थीम , “चेंजिंग द नैरेटिव ऑन सुसाइड” है”। इस थीम का उद्देश्य आत्महत्याओं को रोकने के लिए स्टिग्मा (कलंक) को कम करने और आम जन के बीच इस विषय पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। सितम्बर माह राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम माह के रूप में मनाया जाता है। यह महीना आत्महत्या के कारण खो गए जीवन को याद करने, आत्महत्या के ख्याल से जूझ रहे लाखों लोगों को याद करने तथा प्रभावित हुए व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों को स्वीकार करने का महीना है।
डॉ. जया सुकुल, कंसल्टेंट एवं एचओडी, क्लिनिकल साइकोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद कहती हैं, “आत्महत्या एक जटिल मुद्दा है जिसके लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं। रोकथाम के प्रयासों के लिए इन कारणों को समझना आवश्यक है। कुछ प्रमुख कारणों के लिए डिप्रेशन (अवसाद), एंग्जायटी (चिंता) डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर और सिज़ोफ्रेनिया जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकार जिम्मेवार हैं। नशीली दवाओं का इस्तेमाल, सदमा, और दुर्व्यवहार, पुरानी बीमारी, विकलांगता और किसी प्रियजन की मृत्यु के कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।”
वर्चुअलाइजेशन, विशेष रूप से डिजिटल और ऑनलाइन अनुभवों के संदर्भ में, मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसे आमतौर पर आत्महत्या का प्रत्यक्ष कारण नहीं माना जाता है। हालांकि, अत्यधिक डिजिटल इंगेजमेंट, सोशल मीडिया का उपयोग और वर्चुअल बातचीत के प्रभाव कुछ व्यक्तियों में आत्महत्या के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में योगदान कर सकते हैं।
डॉ. जया सुकुल कहती हैं, “डिजिटल प्लेटफॉर्म कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, लेकिन अत्यधिक उपयोग से कभी-कभी आइसोलेशन (अकेलेपन) की भावना पैदा हो सकती है। वर्चुअल बातचीत में आमने-सामने के रिश्तों की गहराई और अपनापन का अभाव हो सकता है, जिससे अकेलेपन की स्थिति पैदा हो सकती है। जो व्यक्ति अपना अधिकांश समय ऑनलाइन बिताते हैं, वे वास्तविक दुनिया के रिश्तों को नज़रंदाज कर सकते हैं, जिससे उनमें अलगाव की भावना पैदा होती है। इससे अलगाव और अकेलेपन की भावना पैदा होती है, जिसके परिणामस्वरूप आत्महत्या के प्रयास होते हैं। “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस यह याद दिलाता है कि हर जिंदगी कीमती है। एक साथ मिलकर काम करके और सही कदम उठाकर, हम एक ऐसा विश्व बना सकते हैं जहां आत्महत्या से मरने वाले लोगों की संख्या कम होगी। हम सभी को इस जागरूकता दिवस में भाग लेने और अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य सहायता की सिफारिश जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद आत्महत्या के उस गहरे प्रभाव को पहचानता है जो व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर पड़ता है। परिवारों, दोस्तों और नई पहलों की भागीदारी आत्महत्या को रोक सकती है और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित लोगों की सहायता कर सकती है। कम्युनिटी (सामुदायिक) आउटरीच कार्यक्रम आत्महत्या के लक्षणों, प्रियजनों की मदद करने के तरीकों और जरूरतमंद लोगों के लिए उपलब्ध संसाधनों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवाएँ मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे व्यक्तियों को परामर्श और सहायता सेवाओं तक पहुँच प्रदान करती हैं। हम किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को मदद के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। स्थानीय स्कूलों, व्यवसायों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोगात्मक प्रयासों का उद्देश्य एक सहायक नेटवर्क बनाना है जो मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम को प्राथमिकता देता है। डिजिटल जागरूकता अभियान जागरूकता फैलाने तथा उम्मीद एवं सुधार की कहानियों को साझा करने के लिए बनाए जाते हैं।
भारत में आत्महत्या एक प्रमुख राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है। 2022 में 1.71 लाख आत्महत्या दर्ज की गई, जो 2021 की तुलना में 4.2% की वृद्धि और 2018 की तुलना में 27% की उछाल दर्ज की गई। प्रति एक लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 2002 में बढ़कर 12.4 हो गयी जो इस आंकड़े के लिए उच्चतम वर्ष है। चिंता, सिज़ोफ्रेनिया, डिप्रेशन (अवसाद) और बाइपोलर डिसऑर्डर के अधिकतर मामले भारत में पाए गए, जिनमें से अधिकांश मामले रिपोर्ट ही नहीं किए गए। अनुमानतः 300 मिलियन लोगों को प्रभावित करने वाला डिप्रेशन (अवसाद) सबसे आम मानसिक विकार है तथा आमतौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।