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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने एडवांस्ड ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांट कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें सुनने की क्षमता को फिर से ठीक करने और ईएनटी केयर में विशेषज्ञता पर जोर दिया

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 16 नवंबर। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कान, नाक और गले (ईएनटी) प्रक्रियाओं और कोक्लियर इम्प्लांट तकनीकों पर एक एडवांस्ड कार्यशाला आयोजित की जिसमें सुनने की क्षमता में कमी को ठीक करने के लिए अत्याधुनिक सर्जिकल प्रैक्टिसेज, तकनीक और पेशेंट केयर पर ध्यान दिया। कार्यशाला में प्रमुख ईएनटी विशेषज्ञ, मशहूर विशेषज्ञ, ओटोलरींगोलॉजी के क्षेत्र के विचारक, साथ ही कोक्लियर इम्प्लांट, ऑडियोलॉजिस्ट और हेल्थकेयर प्रोफेशनल शामिल हुए, जो बहरापन से ग्रस्त मरीजों के उपचार को आगे बढ़ाने और ईएनटी सर्जरी के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए समर्पित हैं। कार्यशाला एओआई के तत्वावधान में आयोजित की गई और इसका नेतृत्व डॉ (प्रो) आनंद गुप्ता, डॉ अनिल ठुकराल और डॉ राजीव कुमार ने किया।

डॉक्टरों की क्लीनिकल एक्सीलेंस सुनने की क्षमता में कमी से ग्रस्त बच्चों के लिए दो महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देती है। बहरेपन का शीघ्र पता लगाना और उसका उपचार करना बच्चे की भाषा, सामाजिक और सोचने-समझने की क्षमता में विकास के लिए आवश्यक है। सुनने संबंधी समस्याओं का पता लगाने और उनका समाधान करने में देरी से स्पीच (बोलना) और भाषा सीखने में चुनौतियां आ सकती हैं, जिससे बच्चे की शैक्षिक और सामाजिक प्रगति प्रभावित हो सकती है। शुरूआती जांच कार्यक्रम, उसके बाद समय पर उपचार जैसे कि हियरिंग एड, कॉक्लियर इम्प्लांट या स्पीच थेरेपी, बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दूसरी चिंता कॉम्प्रिहेंसिव सपोर्ट और रिहैबिलिटेशन की सुविधा मिलना है जो बहरेपन से ग्रस्त बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि उन्हें मल्टीडिसीप्लिनरी सपोर्ट सिस्टम से बहुत लाभ मिल सके, जिसमें ऑडियोलॉजिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, शिक्षक और परिवार के सदस्य शामिल हों। ठीक तरह से देखभाल और व्यक्तिगत रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम, उपकरण रखरखाव के लिए लगातार फॉलोअप (जैसे, कॉकलीयर इम्प्लांट) और थेरेपी बच्चे के शैक्षिक और सामाजिक वातावरण में पूरी तरह से शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे उन्हें विकसित होने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद मिलती है।

कार्यशाला ने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स की मेडिकल एक्सीलेंस और नए मेथड के प्रति समर्पण को मजबूत किया, साथ ही भविष्य में हेल्थ प्रोफेशनल्स को अत्याधुनिक देखभाल प्रदान करने में सहायता के लिए इस तरह के और अधिक प्रशिक्षण सत्रों की योजना बनाई। क्लीनिकल एक्सीलेंस के महत्वपूर्ण स्तरों के साथ, यह हॉस्पिटल कॉकलीयर इम्प्लांट सर्जरी के लिए एक पसंदीदा केंद्र के रूप में उभरा है। हॉस्पिटल में अंतरराष्ट्रीय रोगियों की संख्या में भी काफी वृद्धि देखी गई है जो अपने बच्चों को सुनने और बोलने की क्षमता में कमी को ठीक कराने के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए लेकर आए हैं। इस हॉस्पिटल में बहरेपन से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, ताकि उनके माता-पिता उन्हें अपनी भाषा में बोलते हुए सुन सकें।

इस कार्यक्रम में कॉक्लियर इम्प्लांट तकनीक और जटिल ईएनटी सर्जिकल तकनीकों में हाल ही में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों को इन नाजुक और परिवर्तनकारी प्रक्रियाओं को करने के लिए कौशल और ज्ञान से लैस करना है। कॉकलीयर इम्प्लांट, जो गंभीर बहरेपन की समस्या से ग्रस्त लोगों को ध्वनि की अनुभूति प्रदान करते हैं, उन लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें पारंपरिक हियरिंग एड से लाभ नहीं मिलता है। सम्मेलन के मुख्य रूप से एडवांस्ड कॉक्लियर इम्प्लांट तकनीकें शामिल थीं, जहाँ प्रसिद्ध ईएनटी सर्जनों ने नवीनतम कॉक्लियर इम्प्लांट तकनीक, मैपिंग तकनीक और सर्जिकल सटीकता को कवर करते हुए हैंड्स-ऑन सेशन किए। प्रतिभागियों को विशेष रूप से युवा बच्चों और गंभीर बहरेपन की समस्या से ग्रस्त वयस्कों में सफल इम्प्लांट परिणाम सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कौशल का अभ्यास करने और उसे निखारने का अवसर मिला। कार्यशाला में डॉक्टरों ने ईएनटी प्रक्रियाओं का पूरी तरह से प्रदर्शन किया और एडवांस्ड ईएनटी प्रक्रियाओं का गहन प्रदर्शन किया, जिसमें मिनिमली इनवेसिव साइनस सर्जरी, एंडोस्कोपिक कान सर्जरी और जटिल सिर और गर्दन की सर्जरी शामिल थी। ये तकनीकें कम समय में रिकवरी के साथ मरीज के परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण हैं। रोगी-केंद्रित देखभाल पर ध्यान केन्द्रित करना एक प्रमुख भाग था, जहां विशेषज्ञों ने विस्तृत, लंबे समय के लिए देखभाल प्रदान करने के लिए ईएनटी, ऑडियोलॉजी और पोस्ट-ऑपरेटिव सहायता को मिलाकर एक मल्टीडिसीप्लिनरी तरीके के महत्व पर जोर दिया। सत्रों में रोगी परामर्श, स्पीच और भाषा विकास के लिए थेरेपी, तथा कॉक्लियर इम्प्लांट प्राप्तकर्ताओं को रोजमर्रा की जिंदगी में सहज रूप से शामिल करने की रणनीतियों पर मार्गदर्शन शामिल था। पैनल चर्चा और ज्ञान साझा करना भी इस कार्यक्रम का अभिन्न अंग था, जिसका समापन इंटरैक्टिव पैनल चर्चा के साथ हुआ, जहां प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञों और ऑडियोलॉजिस्टों ने वास्तविक जीवन के केस अध्ययनों को साझा किया और कॉकलीयर इम्प्लांट देखभाल और ईएनटी उपचार में प्रगति पर चर्चा की, तथा विभिन्न क्लीनिकल एक्सीलेंस में चुनौतियों और समाधानों का पता लगाया।

डॉ. (प्रोफेसर) आनंद गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट – ईएनटी और सर्जरी ने कहा, “इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांटेशन के उभरते क्षेत्रों में हमारे सामूहिक ज्ञान और कौशल को आगे बढ़ाना था, जिससे हम अपने रोगियों को उच्च स्तर की देखभाल प्रदान कर सकें। इस कार्यक्रम के दौरान, हमने हियरिंग लोस और संबंधित स्थितियों के उपचार में नवीनतम प्रगति, तकनीक और सफल तकनीकों का पता लगाया। हमारा लक्ष्य एक सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देना था, जहां हम एक सटीक और गहरी समझ का आदान-प्रदान कर सकें, जटिल मामलों पर चर्चा कर सकें, और रोगी देखभाल में बदलाव को बढ़ावा देने वाली नई रणनीतियां विकसित कर सकें।”

डॉ. अनिल ठुकराल, सीनियर कंसल्टेंट – ईएनटी ने कहा, “यह सभी प्रतिभागियों के लिए सीखने का एक अवसर था और हम सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी विशेषज्ञों को धन्यवाद देते हैं। हम इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उनकी विशेषज्ञता और समर्पण की सराहना करते हैं, जिसने निस्संदेह हमारे सत्रों को बढ़ाया। कार्यशाला का प्रभाव कॉक्लियर इम्प्लांट्स और ईएनटी प्रक्रियाओं में एडवांस्ड तकनीक और एक्सीलेंस को शामिल करने पर था और यह किस प्रकार बहरापन और संबंधित विकारों के प्रति हमारे तरीके को बदल रहा है। इस कार्यशाला ने न केवल हैंड्स-ऑन शिक्षा प्रदान की, बल्कि मरीजों को एडवांस्ड, साक्ष्य-आधारित देखभाल के साथ सर्वोत्तम संभव परिणाम प्रदान करने की हमारे समर्पण को भी बढ़ा दिया।”

सत्यम धीरज, फैसिलिटी डायरेक्टर, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा, “हम, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के रूप में, ईएनटी की इस विशेषता के उपचार के हर पहलू पर ध्यान देते हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट बच्चों में सुनने संबंधी विकारों के उपचार के लिए सबसे ज़्यादा कारगर है, इसके बाद स्पीच थेरेपी की जाती है। हमारा उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों का इलाज करना है, ताकि उन्हें इस विकलांगता से उबरने में मदद मिल सके, जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके।”

बच्चों को 10 से 12 महीने की उम्र से ही कॉक्लियर इम्प्लांट लगाया जा सकता है। इस आयु में कॉकलीयर इम्प्लांट लगवाने की आशा रखने वाले बच्चे के लिए, मूल्यांकन 3 से 4 महीने की आयु के आसपास शुरू हो जाना चाहिए। जन्मजात बधिर बच्चे को 3 वर्ष की आयु से पहले, यदि संभव हो तो, कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी करा लेनी चाहिए। कॉकलीयर इम्प्लांट गंभीर से लेकर अति गंभीर बहरेपन की समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिए एक अच्छा विकल्प है। वे आंतरिक कान को बाईपास करके सीधे हियरिंग नर्व (श्रवण तंत्रिका) को उत्तेजित करते हैं। आज, विकसित दुनिया में जन्म से बहरे 80% बच्चों को कॉक्लियर डिवाइस लगाए जाते हैं, जो उनमें से कुछ को उनके शुरुआती वर्षों में ध्वनि तक पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें बोलने में मदद मिलती है। कॉक्लियर इम्प्लांटेशन (सी.आई.) पारंपरिक हियरिंग एड के एक सर्जिकल विकल्प है, जो गंभीर से अति सेंसेरिन्यूरल हियरिंग लॉस (एस.एन.एच.एल.) वाले छोटे बच्चों में मौखिक भाषा के विकास में सहायता कर सकता है।

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