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मातृ स्वास्थ्य स्तन के दूध की संरचना और शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव
Ludhiana Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 06 अगस्त। एक माँ का आहार, जीवनशैली और स्वास्थ्य स्तन के दूध की संरचना पर गहरा प्रभाव डालते हैं प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज जैसे प्रमुख तत्व माता के स्वास्थ्य द्वारा नियंत्रित होते हैं। नतीजतन, माताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने नवजात शिशुओं को जीवन की सर्वोत्तम शुरुआत प्रदान करने के लिए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। स्तनपान शिशु के प्रारंभिक विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करता है जो एक मजबूत इम्युनिटी और सही विकास में योगदान देता है। स्तन का दूध शिशुओं के लिए एक मुख्य पोषण स्रोत है, जो वृद्धि और विकास के प्रत्येक चरण के दौरान उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मजबूत आधार प्रदान करता है।
आपके बच्चे को स्तन के दूध के माध्यम से उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए आप कुछ प्रमुख नियमों का पालन कर सकते हैं:
उचित आहार: पर्याप्त कैलोरी, पोषक तत्वों और हाइड्रेशन के साथ संतुलित आहार बनाए रखना मातृ स्वास्थ्य और सही मात्रा में दूध बनने, दोनों के लिए आवश्यक है। विटामिन, खनिज और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर एक संतुलित आहार, शिशुओं को उनके विकास और संज्ञानात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषण सुनिश्चित करता है ।
नियमित व्यायाम: सुरक्षित और उचित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने से पूरे स्वास्थ्य में सुधार करता है, तनाव भी कम होता है इससे स्तन के दूध की संरचना पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। प्रसव के बाद की अवधि के दौरान मध्यम व्यायाम भी स्वस्थ वजन और सकारात्मक मनोदशा में मदद कर सकता है।
तनाव से दूरी: ध्यान, योग द्वारा तनाव को संभालने से स्तनपान के रसायनिक अवसाद और भावनात्मक संवेदनशीलता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उच्च तनाव के स्तर स्तनपान की उत्पादन और गुणवत्ता पर असर कर सकते हैं; इससे स्पष्ट होता है कि स्तनपान करने वाली माताओं के मानसिक स्वास्थ्य का बहुत महत्व है।
प्रसवपूर्व देखभाल: गर्भावस्था के दौरान मातृ स्वास्थ्य की निगरानी और सफल स्तनपान की तैयारी के लिए प्रारंभिक और लगातार प्रसवपूर्व देखभाल महत्वपूर्ण है। उचित प्रसव पूर्व देखभाल किसी भी पुरानी स्वास्थ्य समस्या, जो स्तनपान को प्रभावित कर सकती है, की पहचान करने में मदद करती है और इलाज का समय भी मिल जाता है ।
डॉ. गुरसिमरन कौर, सीनियर कंसलटेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस अस्पताल, लुधियाना, “मातृ पोषण स्तन के दूध की पोषण सामग्री निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन, खनिज और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर एक संतुलित आहार यह सुनिश्चित करता है कि शिशुओं को उनके शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषण मिले। इसके अलावा, स्तन के दूध में इम्युनोग्लोबुलिन और एंटीबॉडी होते हैं, जो संक्रमण और बीमारियों से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। एक मजबूत इम्युनिटी वाली एक स्वस्थ मां ये महत्वपूर्ण इम्यून फैक्टर प्रदान कर सकती है, जिससे शिशु के शुरुआती महीनों में ही संक्रमण से लड़ने की क्षमता मजबूत हो जाती है।”
डॉ. शिवानी गर्ग, अटेंडिंग कंसलटेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग, “मातृ स्वास्थ्य स्तन के दूध में वृद्धि कारकों और हार्मोन की उपस्थिति को प्रभावित करता है, जो शिशु के मेटाबोलिज्म, पाचन और सम्पूर्ण विकास में योगदान देता है। इसके अलावा, एक माँ के तनाव के स्तर सहित, स्तन के दूध में हार्मोन की रिलीज़ को प्रभावित कर सकती है, जो संभावित रूप से शिशु के मूड और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकता है। नवजात शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ भी खिलाने से उनमें संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसलिए शिशुओं के जीवन को सर्वोत्तम शुरुआत प्रदान करने के लिए स्त्री स्वास्थ्य सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है।