Faridabad NCR
सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में मेरा डोल कूंए म्ह लटकै सै.. की प्रदर्शनी बनी आकर्षण
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 12 फरवरी। 36वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत द्वारा लगाई गई सांस्कृतिक प्रदर्शनी के अंतर्गत कूंए में पानी निकालने के लिए प्रयोग किए जाने वाले डोल की प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। प्रदर्शनी में अलग-अलग आकार और प्रकार के प्रयोग किए जाने वाले डोल प्रदर्शित किए गए हैं। इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए विरासत के निदेशक डॉ. महाङ्क्षसह पूनिया ने बताया कि हरियाणवी गीतों में मेरा डोल कूंए म्ह लटकै सै.. बहुत ही लोकप्रिय गीत है। इस गीत में जिस डोल शब्द का प्रयोग किया गया है विरासत की सांस्कृतिक प्रदर्शनी में वही डोल प्रदर्शित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर भारत मेें गांवों में पानी के पीने के लिए आज से 50 साल पहले जो कूंए बनाए जाते थे उनमें से पानी निकालने का काम इन्हीं डोल के माध्यम से होता था। डोल की तली बिल्कुल गोल होती है। तकनीकी दृष्टि से जब यह डोल पानी में गिरता है तो यह टेढ़ा हो जाता है। क्षेत्र के अनुसार इसके आकार और प्रकार अलग-अलग होते हैं। कूंओं में जहां पानी की मात्रा ज्यादा होती थी वहां पर बड़े आकार के डोल पाए जाते हैं। जहां पर पानी की मात्रा कम होती थी वहां पर छोटे डोलों का प्रयोग किया जाता रहा है। विरासत हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी में दोनों ही प्रकार के डोल प्रदर्शित किए जाते रहे हैं। इस प्रदर्शनी को अब तक हजारों पर्यटक देख चुके हैं। मेले में विरासत हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी सभी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।