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Faridabad NCR

महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई की मासिक गोष्ठी ऑनलाइन आयोजित की गई

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई की मार्च माह की मासिक गोष्ठी 30 मार्च 2022 को संस्थापक महिला काव्य मंच श्री नरेश नाज़ के सान्निध्य में ऑनलाइन आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मकाम की फरीदाबाद इकाई की अध्यक्ष ड़ॉ प्रतिभा चौहान ने की तथा संयोजन व संचालन सचिव बबिता गर्ग ‘सहर’ ने कियाऔर मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ प्रणव भारती मौज़ूद रही तथा विशिष्ट अतिथि के रुप में हरभजन सिंह देओल (एयर इण्डिया अधिकारी) व डॉ ओम सपरा (पूर्व मैट्रो पोलिटन मजिस्ट्रेट) सम्मिलित हुए।
फरीदाबाद इकाई की उपाध्यक्ष निर्मला शर्मा की सरस्वती वंदना के साथ काव्य गोष्ठी आरम्भ हुई जिस में अनेक कवि व कवियों ने कविताओं व गीतों के माध्यम से मकाम काव्य गोष्ठी में जीवन रँग बिखेरे। रितु गुप्ता ने पुरुष को इस तरह से ललकारा-” औरत को तू दया से ना देख “वही रेणू भाटी ने मजदूरों के दर्द को उकेरा”- रोटी नहीं बनाई मजदूरों की छान में “और रितु अस्थाना ने कहा- “हमसफर, हमज़बां, हमनवा चाहिये”। इसी कडी में नीति सिक्का ने अपनी कविता में कोविड में गुज़र गई अपनी माँ को कविता में याद किया- जिन्दगी की धूप में झुलस रही हूँ, एक बार आंचल की छांव में बिठा लो माँ ” और लक्ष्मी भट्ट ने कहा-चुजुओं से हार जाना है नहीं मंजूर मुझ को”। कवयित्री नीलम दुग्गल’ नरगिस’ ने जीवन साथी को इस तरह पुकारा-” आश्वस्त कर्ता, विश्वस्त करता साथ तुम्हारा”, वही मकाम फरीदाबाद इकाई की सचिव व गोष्ठी संयोजक बबिता गर्ग ‘सहर’ ने मानवता की भावना बनाये रखने का संदेश दिया- अहम महंगा हो गया, जिन्दगी सस्ती हो गई” और उपाध्यक्ष निर्मला शर्मा ने वक्त की उड़ान को इस तरह से पुकारा- वक्त की वेवफाई की हद हो गई, रात आने से पहले सुबह हो गई “। मकाम की इस काव्य गोष्ठी में देश के अनेक कवि प्रतिभा सपरा, गीता झा, विजय कपूर,उषा जी इस गोष्ठी में जुड़े और इसे विशेष बनाया।विशिष्ट अतिथि हरभजन सिंह ने युगीन परिप्रेक्ष्य में वृद्धों के मान सम्मान के लिये पुकार की- प्यार बेटों का देखो कुत्तों को भी पाल रखा है, पर बूढे माँ बाप को निकाल रखा है “तथा अतिविशिष्ट अतिथिओम सपरा जी ने पर्यावरण जागरुकता का संदेश दिया-“पहचाने पृथ्वी को, पर्यावरण सरंक्षण करें”।मुख्य अतिथि ड़ॉ प्रणव भारती ने सुंदर गीत के माध्यम से उम्र की नब्ज़ को यूँ टटोला-“चिन्दी चिन्दी समय की कतरन देख देख घबराता मन” और अन्त में गोष्ठी की अध्यक्षा डॉ प्रतिभा चौहान ने मज़दूर प्रेमिकाओं के दर्द को उकेरा-ये मज़दूर प्रेमिकायें ख्वाब में नहीं देखती राजकुमार,महल अट्टालिकाएं,बस सोच ही पाती हैं, चांदी की पायल, सिलेंडर का चूल्हा और दारु पी के ना पीटने वाला पति”। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन डॉ बबिता गर्ग ने बखूबी कियाऔर इस तरह से काव्य गोष्ठी अध्यक्ष डॉ प्रतिभा चौहान के कुशल निर्देशन में सफल रही।

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