Faridabad NCR
लाज रख मईया मेरी, अपने दिए संस्कार की अब दो विदाई राम को उसके नए संसार की
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : श्री विजय रामलीला कमेटी, मार्किट नंबर 1 ने कल अपने स्वर्णिण मंच से वो दिखाया जो आज तक कभी देखने में नहीं आया। मंच पर हो रहे बनवास के दृश्य ने दर्शकों की आँखे आंसुओं से भिगो दी और मन राम वियोग से। श्री राम बने निमिष सलूजा ने अपनी माता कौशल्या (मनोज) से वन जाने की आज्ञा मांगी और माँ पुत्र के उस प्रसंग से पधारी जनता भाव विभोर होगयी, जिसमे श्री राम ने माता को अपने ही दिए संस्कारों का वास्ता देकर कहा – “लाज रख मईया मेरी, अपने दिए संस्कार की, अब दो विदाई राम को उसके नए संसार की”। संगीत पार्षद पूर्व निर्देशक स्वर्गीय श्री विश्वबंधु द्वारा रचित गीत परं पालन करने मैं चला, मुझे बन को जाने दे मंच पर निर्देशक सौरभ कुमार द्वारा गाया गया। इसके बाद माता सीता (जितेश आहूजा) एवं लक्ष्मण (वैभव) ने साथ चलने का आग्रह किया जिस पर श्री राम के साथ उनका बेहतरीन प्रसंग दर्शाया गया। सीता के रोले को जीवंत करते कलाकार जितेश ने अपनी सुंदरता एवं डायलाग डिलीवरी से मंच के अंदर वा बाहर बैठे सभी को मानो स्तब्ध कर दिया हो। अंत में तीनों ने बनवास की राह ली और भगवा वस्त्रों में पुत्रों को महल छोड़ते देख दशरथ (सुनील कपूर) का विलाप सराहनीय रहा। चेयरमैन साहब ने दशरथ के रोल में मानो मंच पर भावों की झड़ी लगा दी। राम वियोग में प्राणो को त्यागने से पहले की तड़प देख दर्शकों की आँखें नम हो आई। चेयरमैन सुनील कपूर ने बताया की यह दृश्य सबसे अधिक रिहर्सल होने वाला दृश्य है क्यूंकि इसका सीधा कनेक्शन लोगों के हृदय से होता है और जहाँ हृदय के तार छेड़ने हों वहां अभिनय के अधिक प्रयासों के ज़रूरत पड़ती है। राम जी ने केवट के मदद से गंगा पार की और भरत अयोध्या लौटे। राम बनवास और पीटा का स्वर्गमन सुन्न कर निष्प्राण हुए भरत (प्रिंस मनोचा) ने होश संभालने के बाद कैकयी से सभी संबंध तोड़े और कहा यह गद्दी राम की है राम ही गद्दी नशीन होगा। आज इसी मंच पर होगा राम भरत का मिलन।