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दुर्घटनाओं और गलत जीवन शैली से गर्दन हो रही है जख्मी
New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 19 अक्तूबर। दुघर्टनाओं और गलत जीवन शैली के कारण हमारे देश में गर्दन एवं स्पाइन के क्षतिग्रस्त होने की समस्याएं बढ रही हैं। हमारे देश तकरीबन 15 लाख लोगों को गर्दन अथवा स्पाइनल कार्ड में चोट लगने के कारण विकलांगता का जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। अनुमानों के अनुसार देश में हर साल स्पाइनल कार्ड में चोट के 20 हजार से अधिक मामले आते हैं।
नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट तथा नौएडा के फोर्टिस हास्पीटल के ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के निदेशक डा. राहुल गुप्ता के अनुसार दुर्घटनाओं, उंचाई पर गिरने, खेल -कूद और मार-पीट जैसे कई कारणों से गर्दन क्षतिगस्त हो सकती है और कई बार मौत भी हो सकती है। इसके अलावा गलत तरीके से व्यायाम करने और सोने–उठने–बैठने के गलत तौर तरीकों से भी गर्दन की समस्या हो सकती है।
गर्दन हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्दन की गतिशीलता की मदद से ही हम आगे – पीछे देखते हैं, कम्प्यूटर आदि पर काम करते हैं या किसी से बात करते हैं। गर्दन में हमारे शरीर का बहुत ही नाजुक अंग है जिसे स्पाइनल कार्ड कहा जाता है जो कई कारणों से चोटिल हो सकता है। दुर्घटनाओं में, खेल-कूद में या मार-पीट में गर्दन में चोट लगती है और स्पाइनल कार्ड गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है। अगर गर्दन में चोट बहुत हल्की हो तो आराम करने या फीजियोथिरेपी से राहत मिल जाती है लेकिन कई लोगों के लिए गर्दन में चोट विकलांगता का भी कारण बन जाता है। ऐसे में जरूरी है कि गर्दन में चोट या गर्दन की किसी भी समस्या की अनदेखी नहीं करें। अगर आरम करने