Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : एनआइटी क्षेत्र के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने सरकार से मांग की है कि निकिता हत्याकांड की जांच आइजी या एडीजीपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एसआइटी करे। इसके पीछे नीरज शर्मा का तर्क है कि जब 2018 में निकिता अपहरण की दर्ज एफआइआर को वापस लेने में एक सहायक पुलिस आयुक्त स्तर की भूमिका सामने आ रही है, तो एसआइटी सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी के नेतृत्व नहीं बननी चाहिए। नीरज ने निकिता हत्याकांड पर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। इस पर गृहमंत्री अनिल विज ने बताया कि वर्ष 2018 में छात्रा निकिता के हत्यारे तौशीफ खान के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद नहीं होती तो निकिता की जिंदगी बच सकती थी। अब निकिता हत्याकांड की जांच 2018 से शुरू होगी। इसमें उन सभी लाेग और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी जिनके दबाव में आकर निकिता के अभिभावकों ने 2018 में तौशीफ के खिलाफ दर्ज अपहरण की एफआइआर वापस ली थी।
विधायक नीरज शर्मा के सवालों पर गृहमंत्री अनिल विज ने सदन में बताया कि निकिता हत्याकांड में चार्जशीट दायर कर दी गई है। चूंकि यह चिन्हित अपराध के दायरे में है इसलिए इसकी सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्ट में होगी। विज ने सदन को आश्वस्त किया कि निकिता के परिजनों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है। निकिता के भाई को सरकार ने गन लाइसेंस भी दे दिया है।
कांग्रेस विधायक ने नीरज शर्मा ने चर्चा के दौरान सरकार से मांग की कि निकिता के परिजनों को आर्थिक सहयोग या सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए। जब तक अदालत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती तब तक शोकाकुल परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार उठाए।