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चौथे नवरात्रि पर महारानी वैष्णो देवी मंदिर में हुई माता कुष्मांडा की भव्य पूजा, विधायक सतीश फागना ने टेका माथा

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : महारानी श्री वैष्णो देवी मंदिर में चौथे नवरात्रि पर कुष्मांडा की भव्य पूजा अर्चना की गई. इस शुभ अवसर पर NIT क्षेत्र से भाजपा विधायक सतीश फागना विशेष तौर पर मंदिर में मां कुष्मांडा का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे. विधायक ने माता रानी के दरबार में माता टेक़कर पूजा अर्चना में शामिल होकर माता कुष्मांडा का आशीर्वाद ग्रहण किया. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने विधायक सतीश फागना को माता की चुनरी और प्रसाद भेंट किया. विधायक श्री फागना ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि नवरात्रों के अवसर पर उन्हें माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने का अवसर मिला. इस अवसर पर मंदिर में उनके साथ समाजसेवी प्रदीप झाम. आदित्य विरमानी और साहिल भी उपस्थित हुए.
मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी श्रद्धालुओं को बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। ज्योतिष में मां कूष्मांडा का संबध बुध ग्रह से है।  इसलिए माता का ये रूप बुद्धि का वरदान देती हैं। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से बुध ग्रह कुंडली में सकारात्मक रहता है। साथ ही सोच सकारात्मक रहती है।मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं है। इसी कारण उन्हें अष्टभुजा भी कहते हैं। मां कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मां के एक हाथ में जपमाला और अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है।मां कूष्मांडा की पूजा में विशेष रूप से पीले रंग का केसर वाला पेठा चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा मालपुआ और बताशे भी मां कूष्मांडा को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।  श्री भाटिया ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करते हैं उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
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