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सातवें नवरात्रि पर श्री वैष्णो देवी मंदिर में हुई मां कालरात्रि की पूजा, उद्योगपति के सी लखानी ने लगाई हाजिरी 

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : सातवे नवरात्रि पर श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर में माता काल रात्रि की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मां कालरात्रि की पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। सातवीं नवरात्रि पर लखानी अरमान ग्रुप के चेयरमैन के सी लखानी, पूर्व विधायक चंद्र भाटिया, उद्योगपति आर के बत्रा, राहुल माकड़, शेर सिंह, बलजीत भाटिया, विमल पूरी, धीरज ने मां कालरात्रि के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए अतिथियों को माता रानी का प्रसाद भेंट किया। इस अवसर पर श्री भाटिया ने श्रद्धालुओं के समक्ष माता कालरात्रि की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि देवी कालरात्रि मां दुर्गा का सप्तम रूप है। माता अत्यंत दयालु-कृपालु हैं। यह देवी सर्वत्र विजय दिलाने वाली, मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली है। यह मां दुर्गा की सातवीं शक्ति तथा कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।इस देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है।  कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम आसुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है। श्री भाटिया ने कहा कि मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करने वाले सभी भक्तों की मनोकामना आवश्यक पूर्ण होती है। मां कालरात्रि को जायफल का प्रसाद अर्पित किया जाता है और उनका प्रिय भोग पंचमेवा है। मां कालरात्रि को नील जामुनी रंग अति प्रिय है।
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