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Faridabad NCR

जे. सी. बोस विश्वविद्यालय में ऑनलाइन ईएमएफ जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 1 जून। जे. सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाई.एम.सी.ए., फरीदाबाद के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग द्वारा दूरसंचार विभाग के सहयोग से मोबाइल टावरों से विकिरण के खराब स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में मिथकों को दूर करने के लिए एक ऑनलाइन ईएमएफ जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता श्री अमर रेलन, निदेशक, डीओटी ने इस विषय पर एक पावर प्वाइंट प्रस्तुति देते हुए छात्रों को समझाया कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले विकिरण गैर आयनकारी विकिरण हैं और उत्सर्जन का स्तर डीओटी, भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से नीचे है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित स्तरों का 1/10वां हिस्सा है। उन्होंने बताया कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा सेल्फ सर्टिफिकेशन के अलावा, टावरों से निकलने वाले रेडिएशन लेवल की डीओटी टीमों द्वारा रैंडम तरीके से जांच की जाती है। अतः यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
श्री अमर रेलन ने इस अवसर पर मोबाइल टावरों से संबद्ध होने वाले फ्रॉड्स के बारे में बताते हुए कहा कि कुछ एजेंसियां/व्यक्ति आम जनता को मोटा मासिक किराया देने का वादा करके धोखा देते हैं और उन्हें अपने खाते में सुरक्षा जमा आदि के रूप में पैसा जमा करने के लिए कहते हैं। उन्होंने बताया कि मोबाइल टावर लगाने के लिए परिसर को किराए पर देने में डीओटी/ट्राई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है।  यदि कोई एजेंसी/व्यक्ति टावर की वास्तविक स्थापना से पहले अग्रिम या आवेदन शुल्क या किसी भी रूप में पैसे के लिए पूछ रहा है, तो जनता को अतिरिक्त सावधानी बरतने और कंपनी की साख को सत्यापित करने के लिए आगाह किया जाता है। उन्होंने बताया की कोई भी टीएसपी या आईपी किसी भी कर के भुगतान के लिए या किसी अन्य कारण से कोई अग्रिम राशि या कोई पैसा नहीं मांगता है। यदि किसी व्यक्ति को ऐसी कोई धोखाधड़ी अथवा गतिविधि के बारे में सूचना मिलती है, तो वह स्थानीय पुलिस अधिकारियों को घटना की रिपोर्ट कर सकता है और दूरसंचार विभाग की स्थानीय फील्ड इकाई से भी संपर्क किया जा सकता है।
डॉ. सोनम खेड़ा, सुश्री नीतू गुप्ता और सुश्री गुंजन सरदाना द्वारा यह विशेषज्ञ व्याख्यान हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था और इसमें 90 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्र और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के संकाय सदस्य शामिल थे। इस अवसर पर प्रो. प्रदीप कुमार डिमरी, अध्यक्ष (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग), प्रो. मुनीश वशिष्ठ और प्रो. नीलम तुर्क भी उपस्थित थी।

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