Faridabad NCR
अपनी शिक्षा अपनी मातृभाषा में होनी चाहिए,नई शिक्षा नीति 2020 का भी यही मूल उद्देश्य है : प्रो एस के तोमर, कुलपति
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 30 नवंबर। जे सी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय वाईएमसीए के सभागार में आज प्रसिद्ध एवं महान भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस का 165वां जन्मदिवस मनाया गया। विवेकानंद सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती प्रो परमजीत खुराना एवं डॉ मेहर वान ने अपने संबोधन में महान वैज्ञानिक जे सी बोस के जीवन वृतांत एवं उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के बारे में बताया। सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलित के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। टी पी ओ राजेश कुमार आहूजा ने अपने स्वागत भाषण में भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस की जीवनी एवं उनके शोध के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर कुलपति प्रो एस के तोमर, प्रो नीतू गुप्ता, डॉ मनीषा गर्ग, डॉ अनुराधा शर्मा और प्रो सोनिया बंसल विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो एस के तोमर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति 2020 का मूल उद्देश्य भी यही है। जे सी बोस के पिता चाहते थे की उन्हें पहले अपनी मातृभाषा बंगाली आनी चाहिए उसके बाद अंग्रेजी सीखें।एनईपी-20 मातृभाषा के महत्व को दर्शाती है। महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने पौधा विज्ञान पर दो पुस्तकें अपनी मातृभाषा बंगाली में लिखी हैं। 30 नवंबर को बंगाल में जन्म लेने वाले भारतीय वैज्ञानिक जे सी बोस को प्रथम वैज्ञानिक स्वतंत्रता सेनानी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। भारत में अंग्रेज साम्राज्य के दौरान उन्होंने तीन वर्ष तक बिना वेतन के अध्यापक की नौकरी की। सर सी वी रमण और सर जगदीश चंद्र बोस दोनों ऐसे भारतीय वैज्ञानिक रहे हैं जिनका विज्ञान के क्षेत्र में योगदान उल्लेखनीय एवं सराहनीय है। हरियाणा में हमारा संस्थान पहला है जो उनके नाम पर जे सी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय वाईएमसीए रखा गया है. आज उन्ही महान वैज्ञानिक के जन्मदिवस पर हम एकत्रित होकर उनकी उपलब्धियों का स्मरण कर रहे हैं। श्री तोमर ने सभी अतिथियों, डीन, फैकल्टी, उपस्थित शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रो परमजीत खुराना ने पीपीटी के माध्यम से जे सी बोस के शोध एवं अनुसंधान के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बोस के शोध के मानवीय मूल्यों को गहनता से साधारण तरीके से समझाया। पौधों एवं चावल, टमाटर, गेंहू जैसे खाद्यान्नों के वैज्ञानिक चक्र संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इंटरनेट की 5 जी स्पीड का आविष्कार जे सी बोस द्वारा स्थापित मिली मेवस पर ही आधारित हैं।
अन्य वक्ता वैज्ञानिक डॉ मेहर वान ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय विज्ञान क्षेत्र में जे सी बोस का विशिष्ठ स्थान है। विज्ञान में उनके शोध और उनके आविष्कार उनकी उपलब्धियां हैं जिन पर आज सौ साल बाद भी हम चर्चा कर रहे हैं। उन्हें आधुनिक भारतीय विज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। डॉ वान ने बताया कि जे सी बोस पर लिखी गयी पुस्तक में उनके पत्र छपे हैं जिनसे पता चलता है कि जगदीश चंद्र बोस और रवीन्द्रनाथ टैगोर में गहरी दोस्ती थी। श्री बोस स्वामी विवेकानंद को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे।
सभागार में स्क्रीन पर दिखाई गई एनीमेशन फिल्म में वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस के शोध एवं उनके आविष्कारों के बारे में दिलचस्प जानकारी प्राप्त हुई। राष्ट्रगान के उपरांत कार्यक्रम संपन्न हुआ।