Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj :13 फरवरी। जीवन में अगर कुछ नया कर गुजरने का मादा और दृढ इच्छा शक्ति हो इंसान बड़े से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कोलकाता के पुतुल दास मिश्रा की स्टाल नंबर 791 महिलाओं व युवतियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। हमारे देश में हीरे, मोती, सोने और चांदी से आभूषण हमेशा में महिलाओं की पहली पसंद रहा है जो उनके श्रंगार को चार चांद लगाता है। लेकिन गहले बनाने के लिए सब से अलग करने की ठाणी पुतुल दास मिश्रा ने और धान से ज्वेलरी बनाने लगी जो आज महिलाओं को खूब लुभा रही है। पुतुल दास ने बताया कि धान का एक हार बनाने के लिए कम से कम चार घंटे का समय लगता है। डायग्राम बनाकर फैबिक पेंट के सहारे धान को चिपकाया जाता है और इस विधि में न्चुरल कलर व न्युरल का प्रयोग किया जाता है और धान ज्वेलरी की खास बात ये है कि चार पांच साल खराब नहीं होते तथा इस ब्रश के माध्यम से साफ किया जा सकता है। पुतुल दास ने बताया कि पहले तो वे अकेले ही यह काम करते थे लेकिन मार्केट में डिमांड बढऩे के साथ काम बढ़ा तो हौसला बढ़ा। अब उनके साथ 40 से 50 महिलाएं धान आभूषण बनाने का कार्य करती है।
चंडीगढ़ व दिल्ली से मेले में आई छात्रा नेहा, कोमल, विधि, आकृति ने बताया जब उन्होंने धान से बनी ज्वेलरी देखी तो वे दंग रह गई। सोने, चादी व मोतिया की माला तो उन्होंने बहुत देखी है लेकिन धान की माला, वाह क्या बात है। फरीदाबाद, सोनीपत से पहुंची गृहिणी माया व सरोज ने बताया कि धान से बने गहने उन्हे इस कदर भा गए कि हमने दो दो सेट खरीदे है और रेट भी वाजिब है।