कहते हैं कि योग की उत्पत्ति प्राचीन समय में, योगियों द्वारा भारत में हुई थी। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं – एक अर्थ है; जोड़ना और दूसरा अर्थ है – अनुशासन। योग का अभ्यास हमें शरीर और मस्तिष्क के जुड़ाव द्वारा शरीर और मस्तिष्क के अनुशासन को सिखाता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है, जो शरीर और मस्तिष्क के संतुलन के साथ ही प्रकृति के करीब आने के लिए ध्यान के माध्यम से किया जाता है। यह व्यायाम का ही एक अद्भुत प्रकार है, जो शरीर और मन को नियंत्रित करके जीवन को बेहतर बनाता है। योग वह क्रिया है, जो शरीर के अंगों की गतिविधियों और सांसों को नियंत्रित करता है
इस अवसर पर साँसे मुहीम के संयोजक जसवंत पवार ने बताया कि कहते हैं करो योग रहो निरोग लेकिन जिस अंधी विकास की रेस में आज यह दुनिया दौड़ रही है ना हम पर्यावरण का ध्यान रख रहे हैं ना प्रकृति का, हम विकास के लिए पेड़ों की बलि चढ़ा चढ़ाते जा रहे हैं और एक दूसरे से आगे निकलने के लिए प्रकृति का दोहन और पर्यावरण का नुकसान करते जा रहे हैं, जब हमें सांस लेने के लिए शुद्ध वायु ही नहीं मिलेगी, तो हम योग कैसे करेंगे योग करने के लिए हमें शुद्ध वायु और एक सुंदर वातावरण चाहिए होता है इसलिए हमारी अपील हर व्यक्ति से कि वह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में एक पौधा जरूर लगाएं व उसकी देखभाल करके उसे वृक्ष बनाएं और पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभाए
मौके पर जज्बा फाउंडेशन के अध्यक्ष हिमांशु भट्ट ने बताया कि अगर हमारा पर्यावरण अच्छा रहेगा तो हमारा स्वास्थ्य भी सही रहेगा। इसीलिए हमारा प्रयास है कि हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहे। इसलिए मानसून सत्र के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए सांसे मुहिम के द्वारा पांच हजार पौधों का रोपण किया जा रहा है। पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी देखभाल का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा इस मानसून में गिलोय, तुलसी, नीम, पीपल, बढ़, गुलमोहर, पील्कन सहित अन्य पौधे लगाए जायेंगे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राहुल वर्मा, किशन शर्मा, गौरव ठाकुर, हिमांशु भट्ट, विपुल शर्मा, अमर, सुनील सैनी का योगदान रहा।