Faridabad NCR
फिर चरणों में सरकार
Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : कई राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में अब नेताओं को फिर से जनता जर्नादन दिखने लगी है। हर शख्स में उसे भगवान नजर आने लगे हैं। ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश का है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधी जिले के पेशाब पीड़ित आदिवासी दशमत रावत को भोपाल बुलाया। कुर्सी पर बिठाया, उनके पैर धोए, तिलक लगाया, फूल-माला पहनाई और बगल में बैठकर नाश्ता किया। उसके बाद साल ओढ़ाकर कहा कि ‘अब आप हमारे दोस्त हैं। जनता ही मेरे लिए भगवान है।’ और माफी मांगी।
दरअसल, भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला द्वारा दशमत रावत पर पेशाब किए जाने का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसके बाद सियासत गरमा गई। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज कर बुधवार, 5 जुलाई को प्रवेश शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने दशमत को सीधी से भोपाल बुलाकर मुलाकात की। सवाल उठता है- पेशाब पीड़ित का पैर धोना मानवता है या राजनीति? क्या महज पैर धोने से पापा धुल जाता है? शिवराज जी, यह जनता है। वह इस बात को अच्छी तरह समझती है कि आपकी आंखों में पश्चाताप नहीं वोट बैंक की चिंता नजर आ रही है। आदिवासियों के लिए यह प्यार नहीं, बल्कि जनता का डर है। क्योंकि एक बार आदिवासी हाथ से निकल गए तो मध्य प्रदेश में भाजपा को कोई सत्ता नहीं दिला सकता।
मध्य प्रदेश में आदिवासियों की करीब डेढ़ करोड़ आबादी है, लेकिन 2018 के बाद से आदिवासी लगातार भाजपा से दूर होते जा रह हैं। राज्य की विधानसभा की 47 सीटें आदिवासी मानी जाती हैं, जिनमें से 31 सीटों पर पिछली बार कांग्रेस ने कब्जा किया था और भाजपा 18 सीटों पर सिमट कर अंतत: राज्य में हार गई थी। यह अलग बात है कि बाद में जोड़-तोड़ कर चौहान साहब ने सरकार बना ली। तब से अब तक भाजपा आदिवासियों को लुभाने में लगी है। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले तीन महीने में चार बार मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। पिछले दिनों वह शहडोल गए तो पकारिया में आदिवासी बच्चों को दुलारते-पुचकारते भी नजर आए थे, लेकिन भाजपा के प्रवेश शुक्ला ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस घटना के बाद से आदिवासी समाज अब भाजपा के हर कार्यकर्ता को नफरत और हिकारत से देखने लगा है। भाजपा और सीएम शिवराज से उनके एक-एक सवाल का जवाब देते नहीं बन रहा है।
दे भी नहीं सकते। क्योंकि दशमत रावत के साथ जो कुछ हुआ, वह बताता है कि जमाना कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन कुछ लोगों के दिमाग अब सीधे नहीं हैं। वह इंसान को इंसान नहीं समझते। वायरल वीडियो में भाजपा का प्रवेश शुक्ला मुंह में सिगरेट लगाकर आदिवासी दशमत रावत पर पेशाब कर रहा था। मामला संज्ञान में आया तो पुलिस से छिपने की कोशिश की, लेकिन चारों तरफ सरकार की थू-थू होने लगी तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आनन-फानन में सरकार ने आरोपी के घर पर बोल्डर भी चलवा दिया। उससे भी बात नहीं बनी तो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित को भोपाल बुलाकर उनके पैर धोए। शनिवार को सीधी के कलेक्टर साकेत मालवीय ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दशमत रावत को पांच लाख रुपये की सहायता राशि और आवास निर्माण के लिए डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहयता भी उपलब्ध करा दी गई है। कांग्रेस के कमलनाथ इस सबको नौटंकी बताते हुए पूछते हैं कि चुनाव से पहले क्यों नहीं याद आते भगवान?
लेकिन हमारा किसी एक पार्टी से कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस हो भाजपा, सियासत के हमाम में सभी नंगे हैं। सौ की सीधी एक बात- दशमत रावत पर पिछले दिनों जो गुजरी है, उसे पूरा आदिवासी समाज शायद ही भूल पाए… और यही डर अब भाजपा के गले की हड्डी बन चुका है। क्योंकि सवाल पैर धोने का नहीं है। सवाल इसका है कि भाजपा के प्रवेश शुक्ला ने न्याय, बराबरी और बंधुत्व की अवधारणा पर पेशाब कर दिया। शिवराज चौहान इसकी दुगंर्ध पैर धोकर नहीं मिटा सकते।