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Faridabad NCR

उज्बेकिस्तान से गोल्ड मेडल जीतकर आई ‘पॉवरगर्ल’ श्रद्धा रांगढ़ का हुआ जोरदार स्वागत

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 29 सितम्बर। वाको ओपन उज्बेकिस्तान से स्वर्ण पदक जीतकर लौटी ‘पॉवरगर्ल’ श्रद्धा रांगढ़ का जोरदार स्वागत हुआ। जैसे ही लोगों को पता चला कि हमारे शहर की बेटी गोल्ड मेडल जीतकर फरीदाबाद पहुंच चुकी है तो उसको बधाई देने वालों का हुजुम उमड़ पड़ा। गोल्ड मेडल जीतकर लौटी श्रद्धा रांगढ़ का फरीदाबाद के आयसर चौक पर ढोल बाजे व फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत किया गया। वहीं लोगों द्वारा भारत माता की जय, वंदे मातरम, श्रद्धा बिटया की जय के नारे कालोनी में गूंजने लगे। श्रद्धा रांगढ़ को आयसर चौक से जवाहर कालोनी, गली नंबर 4 उनके घर तक लोग ढोल की थाप पर नाचते गाते हुए पहुंचे, जहां श्रद्धा रांगढ़ के सम्मान में जवाहर कालोनी वासिया ने माता की चौकी रखी और सभी ने मिलकर श्रद्धा का सम्मान किया। माता की चौकी खत्म होने के बाद सभी ने बेटी श्रद्धा रांगढ़ को अपना आशीर्वाद दिया और प्रसाद ग्रहण किया। वहीं श्रद्धा रांगढ़ के साथ सेल्फी लेने वालों का तांता लग गया और लोग श्रद्धा के साथ सेल्फी लेते नजर आए।

श्रद्धा रांगढ़ को बधाई व आशीर्वाद देने वालों में मुख्य रूप से एनआईटी 86 से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा, जननायक जनता पार्टी नेता हाजी करामत अली, इंडियन नेशनल लोकदल की महिला जिला अध्यक्ष कु0 जगजीत कौर पन्नू, विक्की सिंह सलूजा व अन्य समाजसेवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में रोहताश खत्री, कैशव गौड़, अमर सिंह यादव, धर्मेन्द्र पांचाल, ब्रिजेश पांचाल, रमेश खत्री, दिनेश यादव, दीपक त्यागी, दीपक गुप्ता, अनिल धीमान, महेश पांचाल, सुनील खत्री, सोनू कुमार मिश्रा आदि कालोनीवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

बता दें कि हमारा समाज जिस प्रगतिशीलता के साथ आगे बढ़ रहा है, उसके बावजूद हरियाणा अभी भी लड़कियों के लिए एक रूढि़वादी जगह है। लोग ‘आपकी बेटी लडक़ों के साथ खेलती है’, और ‘आपकी बेटी ने हमारे बेटे को मारा है’ को लेकर श्रद्धा के बारे में आलोचना और शिकायत करते थे। श्रद्धा के पिता विजय रांगढ़ ने सभी सामाजिक मानदंडों और कठोरता को परिपक्वता के साथ निपटाया और उन्हें एक खेल अकादमी में भर्ती कराया। निराश होने और समाज की अच्छी किताबों में फिट होने की कोशिश करने के बजाय, उन्होंने अपनी बेटी की प्रतिभा के साथ खड़े होने का फैसला किया और चाहे कुछ भी हो, उसका समर्थन किया।

इस तरह एक शरारती लडक़ी एक ‘पावरगर्ल’ में बदल गई

श्रद्धा रांगढ़ एक शरारती और लक्ष्यहीन बच्ची थी जो अपने दृढ़ संकल्प और सही दिशा के कारण खेल में माहिर बन गई। पॉवरगर्ल सिर्फ 7 साल की थी जब वह क्रिकेट में शामिल हुई और अंडर-10 महिला राष्ट्रीय टीम में एक गेम जीता। फिर उन्होंने किकबॉक्सिंग की ओर रुख किया और कई राष्ट्रीय स्वर्ण पदक सहित कई पुरस्कार जीते। श्रद्धा के कोच अजय सैनी एवं सचिन गुप्ता ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की और कहा कि वह आगे भी बेहतर प्रदर्शन कर देश व राज्य का नाम ऊंचा करे।

द पॉवरगर्ल द्वारा पुरस्कार

उन्होंने जी-1 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक जीता। श्रद्धा एक कैडेट राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता हैं। सूची यहीं ख़त्म नहीं होती, वह 4 बार सीबीएसई पदक विजेता और 3 बार एसजीएफआई पदक विजेता हैं। वहीं अब खेलो इंडिया महिला किकबॉक्सिंग लीग में 2 स्वर्ण पदक और वाको ओपन उज्बेकिस्तान में स्वर्ण पदक हासिल किया है।

सहयोग और मान्यता

वह अपने संबंधित सोशल मीडिया पर फिटनेस और पोषण से संबंधित सामग्री बनाती हैं। यह उनकी ऑनलाइन लोकप्रियता के कारण है कि उन्हें एक लाइव सत्र में विद्युत जामवाल से बात करने का मौका मिला। यही वह समय था जब उन्हें भारत के अग्रणी खेल पोषण ब्रांड से प्रेरणा मिली। खैर, यह मत भूलिए कि वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की एथलीट है। सच्चे अर्थों में एक ‘पॉवरगर्ल’ है।

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