Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : डॉ भीमराव आंबेडकर एजुकेशन सोसाइटी फरीदाबाद के द्वारा बौद्ध विहार सामुदायिक भवन में मातृ दिवस के उपलक्ष्य पर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संस्था की छात्राओं के द्वारा मां की महिमा पर कई सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस अवसर पर जिन छात्राओं ने सिलाई ओर कढ़ाई में छः महीने का डिप्लोमा कोर्स पूरा किया था उन्हें सर्टिफिकेट दिए गये। इस कार्यक्रम में संस्था में प्रशिक्षण ले रही छात्राओं की माताओं ने भी भाग लिया।संस्था के द्वारा उन महिलाओं को साड़ी ओर अन्य उपहार देकर सम्मानित किया गया जो संसाधनों की कमी के बावजूद भी अपनी बेटिओं को पढ़ा रही हैं।
संस्था के चैयरमैन ओ पी धामा ने कहा कि उन्हें साधनहीन बच्चों को विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने के कार्य मे मदद करने पर बहुत शकुन मिलता है। उन्होंने कहा कि मातृ दिवस के अवसर पर जहाँ आज मैं अपनी मां को याद करके उनका धन्यवाद कर रहा हूं जिनकी बदौलत वह आज यहाँ खड़ा है वही आज हम माता सावित्री बाई फुले ओर माता रमाबाई अम्बेडकर को भी याद कर रहे हैं जिन्होंने शिक्षा के शिक्षा के क्षेत्र मे महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसको कभी भुलाया नही जा सकता।
इस अवसर पर डॉ भीमराव आंबेडकर एजुकेशन सोसाइटी की मुख्य संयोजिका ओर नगर निगम फरीदाबाद की सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी निर्मल धामा ने कार्यक्रम में आई हुई सभी महिलाओं का स्वागत करते हुए उन्हें मातृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। निर्मल धामा ने कहा कि वे माताएं बधाई की पात्र हैं जो अपनी बेटियों को बेटों की तरह बिना किसी भेदभाव के शिक्षित कर रही हैं। वे माताएँ ओर भी बधाई की पात्र है जो संशाधनों की कमी के बावजूद अपनी बेटियों को पढ़ा रही हैं। निर्मल धामा ने कहा कि उनके जीवन की सफलता में दो माताओं का योगदान है। एक माँ जिसने मुझे पैदा किया और दूसरी मेरी मां जिसने मेरे पति को पैदा किया और शादी के बाद मेरी पढ़ाई में जिनकी विशेष भूमिका रही।
निर्मल धामा ने कहा कि यह संस्था प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत उनके पति ओ पी धामा के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से कार्य कर रही है और अभी तक 2000 से ज्यादा महिलाओं को कम्प्यूटर, सिलाई कढाई, ब्यूटी पार्लर, ओर व्यक्त्वि विकास का प्रशिक्षण दिया गया है। निर्मल धामा ने कहा कि उनकी भी तीन बेटियां हैं और उनको बेटों की तरह पढाया है।दो बेटी पीएचडी हैं और तीसरी बेटी पीएचडी कर रही है। उन्होंने सभी माताओं को संदेश देते हुए कहा कि हमने अपनी बेटिंयों को बेटों की तरह बिना किसी भेदभाव के पढाना चाहिए ओर अधिक से अधिक उपकार करने चाहियें क्योंकि अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन इन्सान वही होता है जो दूसरों के लिए जीता है।