Faridabad NCR
महिला सशक्तिकरण के लिए जन जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी: रेनू भाटिया
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 09 अप्रैल। राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। यह नाटक महिला सशक्तिकरण के विषय पर था। नुक्कड़ नाटक का आयोजन महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया के सानिध्य में हुआ। पहला नुक्कड़ नाटक बीके चौक तथा दूसरा प्याली चौक के निकट जनता कॉलोनी में आयोजित किया गया। जिसमें दिल्ली से आए कलाकारों द्वारा बेटियों की पढ़ाई को लेकर नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटक का उद्देश्य समाज बेटियों को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिससे समाज में इस दरार को भरा जा सके। नाटक में कल्पना चावला और गीता फोगाट का उदाहरण देते हुए बताया गया कि नारी का भी पुरुषों के समान समाज में बराबरी का अधिकार है बस जरूरत है मानसिकता बदलने की। पर्दा डालने से समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता हमें पर्दा हटाना होगा देश को आगे बढ़ाना है तो महिला सशक्तिकरण कराना होगा और बलात्कार, कन्या भ्रूण हत्या, एसिड अटैक जैसी समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से खत्म करना होगा
महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा कि नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ जागरूक करने के लिए सरकार का यह अभियान जो नेशनल कमीशन से शुरू हुआ है और हरियाणा के सभी 22 जिलों में ऐसे नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में बेटियों की उम्र को लेकर जो कानून बना है बेटियों की शादी की उम्र जो पहले 18 वर्ष थी अब 21 वर्ष कर दी गई है यह सरकार का बहुत ही सराहनीय कदम है। 18 वर्ष की लड़की इतनी समझ नहीं रखती और अब जब उसको 3 साल और मिल जाएंगे तो वह और ज्यादा समझदार और मजबूत बनेगी।
उन्होंने बताया कि पहला नुक्कड़ नाटक महिला दिवस के अवसर पर करनाल के कल्पना चावला हॉस्पिटल के बाहर किया गया और हमारा उद्देश्य है कि अगर यह नाटक 100 लोग देखते हैं और उनमें से दो लोग भी इस नाटक को समझ कर उस पर अमल करें और अपनी बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें तो हमें लगता है की हमारा यह अभियान सफल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी यही कहते हैं कि हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को पूर्ण रूप से साकार करना है। बेटी किसी की भी हो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अमीर-गरीब, पढ़ी-लिखी या अनपढ़ बेटी तो बेटी होती है उसकी इज्जत से खिलवाड़ करना या उनके खिलाफ बोलना या उनके लिए गलत सोचना भी बहुत बड़ा पाप है। जब भी हम बेटियों के लिए कोई बात करें तो बहुत सोच समझ कर करें। हमे अपनी भाषा शैली को उस तरीके से रखना चाहिए जिसे हम स्वयं सुनना चाहते हैं।
इस अवसर पर मेयर सुमन बाला, तहसीलदार बड़खल नेहा सहारण, सखी केंद्र की इंचार्ज मीनू यादव व कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।