Faridabad NCR
बङी चौपाल पर मुख्यमंत्री हरियाणा के पब्लिसीटी एडवाईजर गजेन्द्र फौगाट और हरियाणवी कला के पद्मश्री कलाकार महाबीर गुड्डू ने बिखेरा रंग
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 08 फरवरी। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला की गुरुवार की शाम हरियाणवी कलाकारों के नाम रही। बङी चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पब्लिसीटी एडवाईजर गजेन्द्र फौगाट और हरियाणवी कला के पद्मश्री कलाकार महाबीर गुड्डïू ने सुंदर गीतों की प्रस्तुति से रंग जमाया। उन्होंने रंगारंग सांस्कृतिक संध्या के दौरान एक ओर जहां हरियाणवी गीतों में भगवान शिव के भक्तियुक्त गीतों से चौपाल का माहौल भक्तिमय बना दिया। भक्तियुक्त गीतों को सुनकर दर्शक भक्ति के रस में स्नान करते हुए नजर आए। कलाकारों ने इंंडियन और वेस्टर्न वाद्य यंत्रों के जरिए से सूरजकुंड मेले को पूरी तरह भक्ति के रस में डूबो दिया। वहीं दूसरी ओर वंदे मातरम के उद्घोष के साथ चौपाल को देशभक्ति रंग में रंग दिया।
महावीर सिंह गुड्डïू की तू राजा की राज दुलारी मैं सिर्फ लंगोटे आला सू जैसे भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति देखकर चौपाल पर बैठे पर्यटक भाव विभोर हो उठे। वहीं दूसरी ओर महावीर गुड्डïू ने छोरी गावै-छोरी गावै गीत सुरीले, आ सुण ले मेरा ठिकाणा रे-भारत में हरियाणा, सौ-सौ पडे मुश्बित बेटा मर्द जवान में-भगत सिंह कदे जी घबरा जा तेरा बंद मकान में, मेरा रंग दे बंसती चोला जैसे सुंदर देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति भी दी।
गजेंद्र फौगाट द्वारा राम घट घट में हैं-राम कण कण में हैं, मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दशरथ अजिर बिहारी, मेरी झोंपडी के भाग आज खुल जाएंगे-राम आइंगे, अवध में आएंगे श्रीराम-अयोध्या आएंगे श्रीराम जैसे गीतों के साथ-साथ रामचरितमानस के विभिन्न चौपाइयों को संगीतमय रूप से गाकर चौपाल पर बैठे दर्शकों को भक्ति रस में डूबो दिया।
हाल ही में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के पब्लिसीटी एडवाईजर गजेन्द्र फौगाट ने हरियाणा के सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग में एपीआरओ पद पर रहते हुए हरियाणवी पोप स्टार व वॉलीवुड सिंगर की उपाधि प्राप्त की है। वहीं शिक्षा विभाग के रिटायर प्रधानाचार्य महाबीर गुड्डïू को पंडित लख्मीचंद अवार्ड तथा कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय ने उन्हें पीएचडी की उपाधि से नवाजा है। महाबीर गुड्डïू ने बम लहरी की पहली प्रस्तुति 14 अगस्त 1972 में स्टेज पर दी थी। उन्होंने जंगम जोगी, कच्ची घोङी नृत्य और पुरुषों के धमाल डांस की शुरुआत की थी।