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Faridabad NCR

सूरजकुंड मेले में राजस्थानी बाबूलाल के स्वादिष्ट व्यंजनों का जलवा, पर्यटक चख रहे दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी पकवानों का स्वाद

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 17 फरवरी। हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित विश्व प्रसिद्ध सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला हर साल देश-विदेश से आए शिल्पकारों, कलाकारों और खानपान विशेषज्ञों को खासा मंच प्रदान करता है। इस बार  मेले के 38 वे संस्करण में राजस्थान के नागौर जिले से आए राजू अपने पारंपरिक व्यंजनों के साथ पर्यटकों को लुभा रहे हैं।
राजू का “बाबूलाल राजस्थानी फूड स्टॉल” इस बार अपनी खास राजस्थानी थाली और पारंपरिक पकवानों की वजह से चर्चा में है। आगन्तुक दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी, प्याज की कचौड़ी, मूंग दाल के हलवे और राजस्थानी मिर्ची वड़ा जैसे व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। इन व्यंजनों में जो खास स्वाद आ रहा है, वह राजस्थान के मूल मसालों और पारंपरिक तरीकों से बनाए जाने की वजह से है।
राजू बताते हैं कि उन्होंने अपने गांव नागौर से खास मसाले, शुद्ध घी और बाजरे का आटा मंगवाया है, जिससे पकवानों में असली राजस्थानी स्वाद मिल सके। वे कहते हैं,
“राजस्थान का असली स्वाद वही महसूस कर सकता है जो हमारे मसालों, देशी घी और परंपरागत विधि से बनी थाली का आनंद ले। लोग यहां एक बार आते हैं और बार-बार लौटकर आते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में राजस्थानी भोजन की मांग पूरे भारत में बढ़ी है। शहरी लोग भी अब पारंपरिक स्वाद को पसंद करने लगे हैं। मेले में आए विदेशी पर्यटक भी यहां के भोजन का आनंद ले रहे हैं। राजस्थानी व्यंजन सिर्फ खाने की चीजें नहीं हैं, बल्कि ये प्रदेश की संस्कृति, जलवायु और परंपराओं का हिस्सा हैं। नागौर, जो अपने मसालों, लहसुन-चटनी और शुद्ध देशी घी के लिए जाना जाता है, वहां के खाने में भी ये खासियतें देखने को मिलती हैं। मेला परिसर में जब भी किसी पर्यटक को भूख का अहसास होता है तो वे तुरन्त फूड व्यंजनों की स्टाल का रुख कर रहे हैं।

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