New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : अगर कोई ऐसा फनकार है, जो संगीत जगत में बेमिसाल था, है और रहेगा तो वह स्वर्गीय म्यूजिक कम्पोजर और सिंगर रवींद्र जैन है। इस प्रसिद्ध संगीतकार ने अपने अंधेपन पर काबू पा लिया और खूब प्रसिद्धि पाईं एवं ढेर सारे प्रशंसकों का शानदार प्यार हासिल किया, जिनकी यादें अभी भी संगीत प्रेमियों के दिमाग में हैं! 90 के दशक के लोकप्रिय पौराणिक कथाओं पर आधारित टीवी शोज रामायण और जय श्री कृष्णा के छोटे पर्दे पर हालिया प्रसारण के बाद रवींद्र जैन के प्रशंसकों में अचानक एक नया प्रेम उमड़ आया है, इतना प्रेम कि प्रशंसक अब चाहते हैं कि स्वर्गीय संगीतकार और गायक को प्रतिष्ठित भारत रत्न पुरूस्कार से सम्मानित किया जाए।
रवींद्र जैन जिन्हें कला में उनके योगदान के लिए 2015 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, उनको अनगिनत हिट्स और क्लासिक नंबर का श्रेय हासिल है। उनके बेमिसाल कामों में सौदागर, चोर मचाए शोर, चितचोर, गीत गाता चल, फकीरा, अंखियों के झरोखों से, दुल्हन वही जो पिया मन भाये, पहेली, दो जासूस, पति पत्नि और वो, इंसाफ का तराजू, नदिया के पार, राम तेरी गंगा मैली और हिना शामिल हैं। दिवंगत सितारे ने न केवल संगीत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि कई साहित्यिक कार्यों के पीछे भी उनकी मेहनत रही है जैसे कि रामायण, गीता, कुरान और बाल बोध जैसे जैन ग्रंथ पर लिखना। जबकि रवींद्र रामायण और दिल की नज़र से (ग़ज़लों की एक किताब) पहले ही पब्लिशर प्रभात प्रकाशन द्वारा जारी कर दी गई है, गीता और कुरान पर भी उनकी किताबें जल्द ही रिलीज़ होने वाली हैं। उन्होंने महावीर जैन विश्वविद्यालय, मुरादाबाद से डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है जहाँ उन्हें डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम साहब ने उपाधि प्रदान की थी।
उन्होंने रामानंद सागर के पौराणिक टीवी शोज रामायण और जय श्री कृष्णा में कुछ बहुत लोकप्रिय गीतों की रचना की और गाया भी, जो 2015 के दौरान उनके निधन के बाद भी प्रशंसकों को लुभा रहे हैं जिन्होंने रविन्द्र जैन को भारत रत्न से सम्मानित करने के विचार को आगे बढ़ाया है।
यहां तक कि राम के किरदार में जान फूंकने वाले अभिनेता अरुण गोविल का कहना है कि वह रवींद्र जैन के संगीत के लिए आभारी हैं, “उनका संगीत हमारे शो रामायण के लिए संजीवनी की तरह था। अगर इसमें उनके गीत नहीं होते, तो रामायण की कहानी इतनी खूबसूरती से आगे नहीं बढ़ी होती जितनी कि यह थी।” शो रामायण वर्तमान में यूट्यूब पर 77 मिलियन से अधिक बार देखा गया है!
स्वर्गीय रवींद्र जैन की पत्नी दिव्या जैन कहती हैं, ‘जैन साहब की लोकप्रियता कभी कम नहीं होती। मैं उनके यूट्यूब पेज पर नजर रखती हूं और उनकी मृत्यु के बाद भी, प्रशंसक चैनल पर और भी उनके ट्रैक रिलीज़ करने के बारे में पूछते रहते हैं, यहां तक कि उनके पुराने गानों को भी जारी करने को कहते हैं और उनके पेज पर कमेंट्स और प्रतिक्रियाएं उस समय से कई गुना बढ़ गई हैं, जब से रामानंद सागर जी के शो फिर से प्रसारित होने लगे हैं। “हम कथा सुनाते हैं”, “मंगल भवन अमंगल हरि” या यहाँ तक कि “श्री कृष्ण गोविंद हरि मुरारी” जैसे गीतों को लाखों लोग देख रहे हैं, तरह तरह के कमेंट्स आ रहे हैं, इन गीतों को सुनकर लोग रो देते हैं।”
यह ठीक ही कहा गया है, एक कलाकार मर सकता है, लेकिन उसकी कला हमेशा के लिए जीवित रहती है, और इसी तरह की कहानी रवींद्र जैन की है जो 90 के दशक में रचे गए गीतों के साथ फिर से लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। भारत रत्न पुरस्कार पाने के लिए रवींद्र जी के प्रशंसकों के अनुरोध के बारे में बात करते हुए, दिव्या कहती हैं, “इस तरह की मांग या अनुरोध करना मेरे लिए अजीब बात होगी, लेकिन प्रशंसकों का यह सब कहना बहुत मायने रखता है। हालाँकि, कहीं न कहीं मैं जैन साहब के प्रशंसकों से सहमत हूँ, एक पत्नी के रूप में नहीं, बल्कि एक संगीत प्रेमी के रूप में, जिन्होंने जैन साहब के कामों में आनन्द लिया है। ”