Faridabad NCR
सुरक्षित रक्त्त, रोगियों का अधिकार,”नैट” है “एलाइसा” से बेहतर तकनीक
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : रक्त्त आधान (किसी मरीज़ को रक्त्त चढ़ाने) से हो सकने वाले संक्रमण (जिन्हें हम सामान्य दिनचर्या में अंग्रेज़ी भाषा में डॉक्टरों के मुँह से टी.टी.ऑय. यानि ट्रांसफ्यूज़न ट्रांसमिटिड इन्फेक्शंस के नाम से अक्सर सुनते रहते हैं), जैसे हैपेटाइटिस बी, हैपेटाइटिस सी, एड्स, मलेरिया, सिफलिस आदि को कम करने के लिये, रक्त्त की एन.ए.टी. (न्यूक्लिक ऐसिड एम्पलीफायर टेक्निक) टैस्टिंग … सामान्य भाषा में “नैट” टैस्टिंग कही जाने वाली विधि सर्वोत्तम मानी जाती है। इस विषय में पिछले कई वर्षों से भारत सरकार का स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, सभी डॉक्टर और ब्लड बैंक्स एकमत हैं, परंतु फिर भी अत्यंत खेद की बात यह है कि अधिकांशतः ब्लड बैंक्स में रक्त्त की जाँच नैट विधि से ना करके “एलाइसा” (एंजाइम लिंक्ड इम्म्यूनो एसे) विधि से की जाती है जो कि अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली है। और दुर्भाग्यपूर्ण इस कारण ख़ासकर उन बीमारियों के मरीज़ो (जैसे थैलेसीमिया) जिन्हें नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूज़न करवाना पड़ता है, को एड्स जैसे गम्भीर संक्रमण से जूझना पड़ता है।
सेलाइन वाश्ड रैड ब्लड सैल्स नहीं हैं, ल्यूकोसाइट्स डिप्लीटिड रैड ब्लड सैल्स का विकल्प।
अब इसे लागत कम करने कारण दें या फिर सही ज्ञान का आभाव, पर यह हकीकत कि देशभर में बहुत से ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेंटर्स में थैलेसीमिया के रोगियों को सैलाइन वाश्ड रैड ब्लड ल्यूकोरेड्यूस्ड ब्लड के स्थान पर दिया जा रहा है। ल्यूकोसाइट्स डिप्लीशन का मतलब रक्त्त में से सफेद रक्त्त कोशिकाओं को कम करना। यह अपेक्षाकृत महँगी विधि है, परन्तु थैलेसीमिया रोगियों के लिये ल्यूकोरेड्यूस्ड रक्त्त ही चाहिये होता है। सैलाइन वाश्ड ब्लड के प्रयोग का अलग उद्देश्य होता है, और यह ल्यूकोरेड्यूस्ड रक्त्त का विकल्प नहीं है।
होल ब्लड नहीं, ब्लड कॉम्पोनेन्ट।
अगर किसी व्यक्त्ति को डॉक्टर के कहे अनुसार खाने में सिर्फ रोटी देनी है और उसे ज़बरदस्ती रोटी के साथ दाल, चावल, पापड़ आदि भी दिये जायें, यह अनुचित है। ठीक वैसे ही, जिन मरीजों को सिर्फ पैक्ड रैड ब्लड सैल्स ट्रांसफ्यूज़न की ज़रूरत होती है, उन्हें होल ब्लड (जिसमें रैड ब्लड सेल्स के साथ व्हाइट ब्लड सैल्स व अन्य पदार्थ भी होते हैं) दिया जाना अनुचित है। यह ना केवल रोगी के लिये अच्छा नहीं है अपितु रक्त्त में मौजूद जैसे अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज़मा आदि की बर्बादी है। ज्ञात रहे, डेंगू जैसी गम्भीर बीमारी के इलाज में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूज़न की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वहीं प्लाज़मा का इस्तेमाल बेशकीमती दवाइयाँ बनाने में किया जाता है।
स्वैच्छिक रक्त्तदान का करें प्रचार।
नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सर्विसेज एक्ट के अनुसार रक्त्त की खरीद फरोख्त नहीं हो सकती। यह असैवधानिक गतिविधि होगी। इसका मतलब यह है कि किसी भी रक्त्तदाता को ना तो अपने द्वारा दिये गये रक्त्त के बदले किसी प्रकार की धनराशि माँगने का अधिकार है, और ना ही किसी व्यक्त्ति को रक्त्तदान के लिये मजबूर किया जा सकता है। विश्व रक्त्तदाता दिवस का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य स्वैच्छिक रक्त्तदान के बारे में जागरूकता फैलाना वो लोगों को रक्त्तदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित करना है।
रक्त्तदान करने के रक्त्तदाता को फायदे।
रक्त्तदान करने के फायदों में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु :- रक्त्तदान से पहले रक्त्तदाता का एक प्रकार से छोटा हैल्थ चैक-अप निशुल्क हो जाता है। नियमित रूप से रक्त्तदान करने वाले लोगों को ह्रदय सम्बंधित रोग, लिवर सम्बंधित बीमारियाँ, शरीर में अतिरिक्त्त लौहतत्व के कारण होने वाली समस्यायें, कई प्रकार के कैंसर आदि होने की संभावनायें अपेक्षाकृत कम होती हैं। रक्त्तदान के पश्चात रक्त्तदाता के रक्त्त की कई गम्भीर संकम्रणो जैसे हैपेटाइटिस बी, हैपेटाइटिस सी, एड्स, मलेरिया, सिफलिस आदि की जाँच होती है और उसके परिणाम के बारे में रक्त्तदाता
को सूचित किया जाता। इससे रक्त्तदाता को निशुल्क पता चल जाता है कि कहीं वो इस प्रकार के गम्भीर संकम्रणो से प्रभावित तो नहीं। अक्सर स्वैच्छिक रक्त्तदाताओं को उनके द्वारा दिये गए रक्त्त के लिये एक प्रमाणपत्र दिया जाता है, जिससे वो एक निर्धारित समयावधि में एक यूनिट रक्त्त निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। रक्त्तदाताओं को समाज में आदर की दृष्टि से देखा जाता है, व उन्हें अक्सर समाजिक सभाओं में यथोचित सम्मानित किया जाता है।
कौन हैं मदन चावला?
मदन चावला, ग्लोबली इंटिगर6फॉउंडेशन फॉर थैलेसीमिया (गिफ़्ट) के संस्थापक हैं। गिफ़्ट सम्पूर्ण भारतवर्ष में थैलेसीमिया पीड़ितों को अपनी सेवायें देती है और इन रोगियों के लिये रक्त्त की व्यवस्था करना गिफ़्ट द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का एक अभिन्न व अतिमहत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अतिरिक्त्त वो पिछले दस वर्षों से अधिक समय से उनसे व्हाट्सऐप के माध्यम से जुड़े हज़ारों लोगों की मदद से ज़रूरतमंद लोगों के लिये रक्त्त की व्यावस्था करने में निरंतर प्रयासरत हैं। मदन स्वयं पिछले लगभग 28 सालों से रक्त्तदान कर रहे हैं व अब तक 125 बार से रक्त्त व प्लेटलेट्स दान कर चुके हैं। उनके अतिरिक्त्त उनके परिवार में उनकी पत्नि मनीषा, बेटी मृदु व बेटा मृणाल चावला भी नियमित रक्त्तदाता हैं।
तस्वीर में विश्व रक्त्तदाता दिवस की पूर्व संध्या (13 जून 2022) पर मदन चावला अपनी सुपुत्री मृदु व सुपुत्र मृणाल चावला के साथ रक्त्तदान करते हुवे।