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परमात्मा के साथ जुड़ने का नाम ही समत्व योग है : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में संचालित स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय में योग दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर चेयरमैन जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि परमात्मा के साथ जुड़ने का नाम ही समत्व योग है।
उन्होंने कहा कि योग का शाब्दिक अर्थ और मूल भावना एक जैसी ही हैं दोनों का ही अर्थ जुड़ने से है। योग का वास्तविक अर्थ परमात्मा के साथ जुड़ने से है। जो योग करता है वह वास्तव में भगवान के साथ जुड़ता है। भगवान् के साथ हमारी ऊर्जा के मिलने से हमारे मन और तन में आ गए साथी प्रकार के तापों का शमन होने लगता है। ऐसे योगी स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन तो जीते ही हैं साथ ही वह समाज के लिए भी मिसाल बनते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में कुछ गलत कर ही नहीं सकते हैं। इस प्रकार योग समाज से भय और अपराध भी समाप्त करने में सहायक है। उन्होंने सभी बच्चों को अपने जीवन में यम, नियम, आसन, प्रत्याहार एवं प्राणायाम को अपनाने की सीख दी। उन्होंने सभी भक्तों से कहा कि वह महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग सूत्र को अपने जीवन में शामिल करें। सभी को अपने जीवन में यम, नियम, आसन, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान, धारणा एवं समाधि का अभ्यास करना चाहिए। इससे समत्व योग का निर्माण होगा और परमात्मा की कृपा एवं प्राप्ति सहज हो सकेगी।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि अनेक प्रकार के योग संसार में प्रचलन में हैं। गीता भी हमें भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग, राजयोग आदि अनेक योग बताती है लेकिन प्रेम योग अंत में सभी योगों को परमात्मा के साथ जोड़ देता है। जो व्यक्ति प्रेम योग में होता है वह परमात्मा के साथ जुड़ जाता है वहीं जो बाहर की ओर देखता है वह संसार के भोगों में रम जाता है। महाविद्यालय के छात्रों ने एक प्रकार के योग मुद्राओं का प्रदर्शन किया वहीं अनेक प्रकार के सामूहिक पिरामिड भी बनाये। स्वामीजी ने बच्चों को उनके वार्षिक परिणाम पत्र प्रदान कर आशीर्वाद दिया। बता दें कि श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में संचालित स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय में शास्त्री तक निशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है जिसकी यूजीसी द्वारा स्नातक मान्यता है।

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