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संत कबीर दास 15वीं सदी के महान कवि व सच्चे संत थे : एसडीएम त्रिलोक चंद

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 5 जून। बल्लभगढ़ एसडीएम त्रिलोक चंद ने कहा कि संत कबीर दास 15वीं सदी के महान कवि व सच्चे संत थे। निरक्षर होते हुए भी उन्होंने समाज को जो शिक्षा दी उनके मद्देनजर यदि उन्हें भगवान भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं व उपदेशों को जीवन में अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्घांजलि होगी।
यह बात एसडीएम त्रिलोक चंद ने संत कबीर जयंती पर अपने सन्देश में कही।
एसडीएम त्रिलोक चंद ने लोगों को अपने सन्देश में कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 के मद्देनजर लाक डाउन-5 में सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार नियमों की पालना करें।
सौशल डिस्टैन्श अवश्य बनाएं, घर से बाहर निकलते समय अपने मुंह पर मास्क या गमछा अवश्य लगाए और समय-समय पर सनेटाइजर करते रहें। अन्य लोगों को भी कोविड-19 के बचाव बारे जागरूक करें।
उन्होंने कहा कि भक्तिकाल के उस दौर में संत कबीरदास ने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार में लगा दिया था। वे केवल एक ही ईश्वर को मानते थे और अंधविश्वास व पाखंड के सख्त खिलाफ थे। समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने एक अलख जगाई थी। उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए हमें भी आडंबरों से बचकर रहना चाहिए और समाज में शिक्षा की अलख जगानी चाहिए। अपने बच्चों के साथ-साथ समाज के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने के लिए भी हम सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यही संत कबीर के प्रति हमारी सच्ची श्रद्घांजलि होगी। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने समाज को जो रास्ता दिखाया वह आज भी प्रासंगिक है।
एसडीएम त्रिलोक चंद ने लोगों को पर्यावरण दिवस की भी बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने लोगों से अपील  करते हुए कहा कि वे पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी भागीदारी अवश्य सुनिश्चित करें। पेङ पौधों को लगाकर उनका पालन पोषण करना अवश्य करें। मनुष्य को को जन्म दिवस अथवा अन्य विशेष उत्सव पर भी पेड़ पौधे अवश्य लगाए।
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