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Faridabad NCR

सर्वजीत ने दिलाई याद नुसरत फतेहअली की, एकलव्य की तरह संगीत साधना करते हैं सर्वजीत

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 21 मार्च। छाप तिलक सब छिनी रे तोसे नैना मिलाई के..दमादम मस्त कलंदर अली दम दे अंदर..ये जो हल्का..हल्का  सुरूर है, ये तेरी नजर का कुसूूर है के शराब पीना सीखा दिया..आदि मदमस्त प्रस्तुतियों ने नुसरत फतेहअली की यादें ताजा कर दीं। मंच पर नुसरत साहब की बंदगी करने वाले सर्वजीत टमटा ने उन्हें जिस तरह से जिंदा किया, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र से आए सर्वजीत टमटा पिछले दस-बारह सालों से लगातार नुसरत फतेह अली का एकलव्य की भांति अनुसरण कर रहे हैं। नुसरत साहब के नाम से ही उन्होंने रहमत ए नुसरत नाम से अपना ग्रुप बनाया हुआ है। जिसमें सर्वजीत के अलावा तबले पर संगत करने वाले अभिषेक तिवारी तथा  रोहित, साहिल व अक्षय शामिल है। कव्वाली के ग्रुप में कम संख्या होने की वजह सर्वजीत बताते हैं कि वह खुद किसी संगीत घराने से नहीं हैं और ना ही उनके ग्रुप का कोई सदस्य किसी घराने से कोई ताल्लुक रखता है। उन्होंने बड़ी मेहनत से इस ग्रुप को तैयार किया है तथा इनमें किसी ने पहले कभी कव्वाली पर संगत नहीं की थी।
अमररस संगीत रिकार्ड कंपनी चला रहे आशुतोष शर्मा के साथ आए सर्वजीत टमटा ने बताया कि उन्होंने 6 साल की आयु में पारंपरिक गढ़वाली गीत गाने शुरू किए थे। जब 15 साल की आयु में सुप्रसिद्घ सिंगर नुसरत अली की गजल सानुं इक पल चैन ना आवें…सजना तेरे बिना में उनकी सरगम को सुना तो उनका दीवाना हो गया। तब से उन्हीं के  गाए गानों व कव्वालियों को गाने का अभ्यास कर रहा हूं।
सूरजकुंड मेले में सर्वजीत को लेकर आए आशुतोष शर्मा भी विगत 13 वर्षों से अमररस रिकार्डिंग कंपनी चलाकर कलाकारों को आगे बढऩे का अवसर प्रदान कर रहे हैं। लाखा खान व बाड़मेर ब्वायज आज के दिन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आशुतोष दिल्ली में हुमायुं मकबरा के समीप सुंदर नर्सरी में संगीत का कोई ना कोई कार्यक्रम आयोजित करते  रहते हैं। वह भी सर्वजीत को आने वाले समय के लिए एक बेहतरीन कलाकार मानते हैं।

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