Faridabad NCR
बुद्धिजीवियों के साथ प्रशासनिक दमन के खिलाफ सत्याग्रह को मिल रहा है महिलाओ और समाजसेवियों का भारी समर्थन
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : सात दिन से जारी समाजसेवियों, RTI एक्टिविस्टों और पत्रकारों के साथ क्रूर व्यहार के खिलाफ बाबा रामकेवल द्वारा शुरु किये गये सत्याग्रह के समर्थन में समाजसेवी महिलाओं का हुजूम उमड़ा, इसके साथ ही समाजसेवियों ने अन्याय के खिलाफ अपना भरपूर समर्थन देने का भरपूर आश्वाशन दिया।
बाबा रामकेवल के समर्थन में समाजसेवी एम तिवारी (मोहन तिवारी) मंजू अहूजा, राज शर्मा, ममता शर्मा, गीता चौधरी, परमिता चौधरी, आप नेता संतोष यादव, रघुवरपाल, रामेश्वर कुशवाहा, वीर सिंह शर्मा, मेंदीरत्ता, सुनील दत्त शर्मा आदि एकत्रित हुए और आगे भी समर्थन देते रह्ने का आश्वसन दिया।
बाबा रामकेवल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा की हम लोग समाज सेवियो, पत्रकारों, R.T.I एक्टिविस्टो के खिलाफ होते अन्याय को कब तक देखते रहेंगे आख़िर कार कभी न कभी तो किसी न किसी को तो अन्याय के खिलाफ आवाज तो उठानी ही पड़ेगी।
बाबा रामकेवल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के चौथे स्तम्भ के ऊपर सरकार हावी होना चाह्ती है और इसी वजह से प्रदेश मे पत्रकारों, समाजसेवियों, R.T.I एक्टिविस्टो के खिलाफ फर्जी मुकदमे करके आये दिन प्रताड़ना करती रहती है ।
बाबा रामकेवल ने कहा कि जिस प्रकार से मेरे आंखों के सामने आए दिन फरीदाबाद शहर में पत्रकारों, समाजसेवियों, R.T.I एक्टिविस्टो को निशाना बना रही है, जिसको किसी तरह से कतई बर्दाश्त नही किया जा सकता है।
बाबा रामकेवल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यह सत्याग्रह सरकार की आंखे खोलने के लिये शुरु किया है, हम सामाजिक दूरी के नियमो का पालन करते हुए अंदोलन कर रहे हैं, मैं यहाँ पर कोई मजमा नही लगाना चाहता, अगर सरकार की आंखे नही खुली तो लोक खत्म होने के बाद बदा जन अंदोलन किया जाएगा. इससे पहले भी हमने कई बार आंदोलन करके सरकार की आँखे खोलने का काम किया है किया है और इस बार भी हम सरकार की आँखे खोल कर रहेंगे भले ही हमें अगले कई हप्ते तक सत्याग्रह करना पड़े।
बाबा रामकेवल ने कहा कि सिर्फ कॅरोना जैसे वैशिक महामारी को ध्यान में रखते हुए शहरवासियों से बार बार अनुरोध करते है कि यहाँ पर बिल्कुल भीड़ न लगाएं अपना ख्याल रखे तथा इस सत्याग्रह आंदोलन को अपनी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को उठाते रहे।