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Faridabad NCR

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा “किशोर न्याय अधिनियम 2015” पर आयोजित किया सेमिनार: सीजेएम मंगलेश कुमार चौबे

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 23 अप्रैल। सीजेएम कम् सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंगलेश कुमार चौबे की अध्यक्षता में जिला बाल सुधार गृह में शुक्रवार को “किशोर न्याय अधिनियम 2015” पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि फरीदाबाद सीजेएम एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंगलेश चौबे रहे। कार्यक्रम में जिला फरीदाबाद के सभी पुलिस थानों के अनुसंधान अधिकारी (I.O.) जो स्पेशल जूवेनाइल पुलिस यूनिट के तहत आते है व जिला चाईल्ड प्रोटेक्शन आँफिसर श्रीमति गरिमा, जिला चाईल्ड प्रोटेक्शन यूनिट की काउंसलर अपर्णा, पैनेल अधिवक्ताओं सहित बी.एस. अनंगपुरिया इस्टिटियूट ऑफ लॉ के विद्यार्थी एवं संस्थान के प्रोफेसर भी शामिल रहे।

कार्यक्रम में पलेस ऑफ सेफ्टी के सुपरिटेंडेंट दिनेश यादव ने मुख्य अतिथि मंगलेश चौबे को पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मंगलेश चौबे ने अनुसंधान अधिकारियों को बताया कि जूवेनाईल जस्टिस एक्ट के तहत पुलिस को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चो को जब पेश किया जाता है, तो वह अधिकारी सादा वर्दी में होना चाहिए, बच्चों को लाकअप में नहीं रखा जा सकता। बच्चो को यदि उसके पास कोई जन्म का साक्ष्य ना हो तो उस बच्चे की शारिरिक बनावट व क्षमता को देखकर बच्चे के हित को देखते हुए बच्चे को जूवेनाईल जस्टिस बोर्ड में ही पेश किया जाए। बच्चे या किशोर से किसी कागज पर हस्ताक्षर ना लिए जाए और ना ही कबूलनामा लिखा जाए।

उन्होंने कहा कि यह जूवेनाईल जस्टिस एक्ट हमें ऐसा करने से रोकता है। यदि किसी बच्चे/व्यक्ति के चरित्र के बारे में कोई तफ्तीश या रिपोर्ट करना हो तो बच्चे के द्वारा 18 साल तक यदि कोई जाने-अनजाने में कानून की अवज्ञा की गई हो तो उसके बारे में जानकारी ना दी जाए। जिससे की उस बच्चे/व्यक्ति का रिकार्ड खराब ना हो। जूवेनाईल जस्टिस एक्ट के तहत आई.ओ. को चार्टशीट एक महिने के अन्दर अन्दर पेश कर देनी चाहिए।

कार्यक्रम में पैनेल अधिवक्ता रविन्द्र गुप्ता ने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट के बारे में वहां उपस्थित सभी सदस्यों को विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट 2015 में हुए सुधारों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जो बच्चे 16 से 18 साल तक के हैं और जो जघन्य अपराध में लिप्त हैं, तो उनके बारे में जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड को प्रिम्लरी एसेसमेंट करनी होती है। इस एसेसमेंट के बाद यह पाया जाता है कि बच्चा या किशोर जिसका दिमागी स्तर परिपक्वा है, तो उसके केस को चिल्ड्रन कोर्ट में भेज दिया जाता है।

इस अवसर पर दिनेश यादव ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में प्रोग्राम आफिसर मिनाक्षी, अधिवक्ता आर.पी. गौतम, रामबीर तंवर, नेहा चौधरी, कंगना, लेवांशी मंगला, मोनू सिंह, भारती पाराशर, अनिल मावी, प्रमोद गुप्ता भी उपस्थित रहे।

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