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बच्चों में बढ़ती मायोपिया की गंभीर समस्या : डॉ. निखिल

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : लोगों को विज़न और आँखों से संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को ‘विश्व दृष्टि दिवस’ मनाया जाता है। इस साल की थीम “चिल्ड्रन लव योर आईज” यानि बच्चों को अपनी आँखों से प्यार करने पर है। इस अवसर पर जानकारी देते हुए डॉ. निखिल सेठ, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि मायोपिया आँखों से संबंधित एक ऐसी बीमारी है जिसमें छोटे बच्चों में दूर की नजर कमजोर होती चली जाती है। यह अक्सर 3-7 की उम्र में शुरू हो जाती है और 18-20 साल की उम्र तक धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। मायोपिया कोविड के बाद एक डिजीज पैटर्न है जो अभी भी बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। कहीं न कहीं इसमें कोविड के दौरान 2-3 साल तक इनडोर एक्टिविटीज का बढ़ना, कंप्यूटर-लैपटॉप ऑनलाइन एक्टिविटीज का बढ़ना मायोपिया के प्रोग्रेशन के लिए बहुत बड़ा कारण है। जिन माता-पिता को दूर का चश्मा लगा है या मायोपिया है, जो बच्चे नजदीक का काम बहुत नजदीक से करते हैं या जिनका स्क्रीन टाइम (खासकर मोबाइल गेम्स) बहुत ज्यादा है, रीडिंग बहुत ज्यादा है, कम रोशनी में पढ़ते हैं, एलएडी लाइट में ज्यादा रहना, नेचुरल डे लाइट में कम रहना, ये सभी रिस्क फैक्टर्स हैं जिनसे बच्चों में मायोपिया का खतरा बढ़ रहा है।

मायोपिया से बचने के लिए कुछ जरूरी सलाह दी जाती है जैसे रोजाना 2 घंटे आउटडोर एक्टिविटी दिन की रोशनी में करें। मोबाइल गेम्स, कंप्यूटर गेम्स, गैजेट्स से दूर रहें। टीवी एक घंटे से ज्यादा न देखें, कुर्सी-टेबल पर पर्याप्त रोशनी में पढाई करें, पढाई करने के दौरान बॉडी पोस्चर सही रखें और ताजा हरी सब्जी, पीले फल और दूध का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें। इन बातों का ध्यान रखकर आप मायोपिया को अच्छे से नियंत्रित कर सकते हैं। जिन बच्चों को चश्मा लगा है उनका हर 6 महीने में आँखों का रूटीन चेकअप जरूर कराना चाहिए। जिन बच्चों को चश्मा नहीं लगा है, साल में एक बार आँखों का चेकअप जरूर कराएं।

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