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जल-संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक घंटे में सबसे ज़्यादा हैंडप्रिंट पेंटिंग के लिए शिव नादर स्कूल ने नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स(TM) का ख़िताब अपने नाम किया

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 24 मार्च। पर्यावरण के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू की गई अनोखी पहल के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए, शिव नादर स्कूल के 2232 छात्रों एवं शिक्षकों ने शिव नादर स्कूल, फ़रीदाबाद में 14 मार्च, 2024 को एक घंटे में सबसे अधिक संख्या में हैंडप्रिंट पेंटिंग के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का ख़िताब जीता।

यह विश्व रिकॉर्ड इस बात को दर्शाता है कि, यह स्कूल पर्यावरण की हिफाज़त करने के साथ-साथ बच्चों को शुरुआत से ही प्रकृति को बचाने और उसकी सुरक्षा करने के बारे में संवेदनशील बनाने के अपने संकल्प पर कायम है। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी छात्रों एवं शिक्षकों ने #EveryDropCounts की शपथ ली, जो शिव नादर स्कूल की जिम्मेदारी के बुनियादी सिद्धांत और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास के लक्ष्य-6: सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और उसका टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करने के अनुरूप है। इस विशाल हाथ के निशान वाली पेंटिंग बनाकर, छात्रों ने व्यक्तिगत कार्यों की सामूहिक शक्ति को दर्शाया है। यह इस संदेश को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाने का एक प्रयास है कि जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है और इसका संरक्षण आवश्यक है।

स्कूल द्वारा शुरू की गई इस पहल के तहत आयोजित कार्यक्रम में कर्नल (रिटायर्ड) गोपाल करुणाकरण, सीईओ, शिव नादर स्कूल; मिस आरती डावर, डिप्टी सीईओ, शिव नादर स्कूल; मिस अंजू वाल, डायरेक्टर प्रिंसिपल, शिव नादर स्कूल, फ़रीदाबाद; मिस अंजू सोनी, प्रिंसिपल, शिव नादर स्कूल, नोएडा; मिस मोनिका सागर, डायरेक्टर प्रिंसिपल, शिव नादर स्कूल, गुरुग्राम; मिस वंदना मार्दा, डायरेक्टर ब्रांड एंड कम्युनिकेशन, शिव नादर स्कूल; और श्री ऋषि नाथ, आधिकारिक निर्णायक, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मिस गुल पनाग ने किया, जिन्हें उनकी विभिन्न भूमिकाओं के लिए जाना जाता है – एक अभिनेत्री, मॉडल, एक्टिविस्ट, और उद्यमिता जो शिक्षा, पर्यावरणीय मुद्दों, और आपदा प्रबंधन पर काम करती हैं – एक सतत जीवन के प्रशंसक।

इस अवसर पर मिस गुल पनाग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने और यह बेमिसाल उपलब्धि हासिल करने के लिए शिव नादर स्कूल के छात्रों को बधाई देते हुए कहा, “इस आयोजन का हिस्सा बनना मेरे लिए सचमुच बड़ा रोमांचक अनुभव था, जिसकी सबसे खास वजह है यह है कि इसका आयोजन जल संरक्षण जैसे बेहद नेक काम के लिए किया गया था। मेरी राय में, बच्चों में सच्चा बदलाव लाने के लिए उन्हें कम उम्र से ही जगाना होता है। बचपन में ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता का बीज डालकर हम हर बच्चे को इस काबिल बनाते हैं कि, वह आगे चलकर बदलाव ला सके। शिव नादर स्कूल ने इस दिशा में एक ऐसा बेंचमार्क बनाया है, जिसकी कोई तुलना नहीं है। इसमें दो राय नहीं है कि छात्र इस अनमोल सीख को अपने साथ घर ले जाएंगे। अब, समुदाय के भीतर इन सिद्धांतों को बनाए रखने और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को निभाते हुए मुहिम को बढ़ावा देने का दायित्व माता-पिता के कंधों पर है। हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं कि अगर ऐसी सीख हमें भी स्कूल के दिनों में दी जातीं, तो कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ता; शायद चीजें अलग होतीं।”
कर्नल (रिटायर्ड) गोपाल करुणाकरण, सीईओ, शिव नादर स्कूल, ने कहा, “इस बात का अनुमान है कि, आने वाले कुछ सालों के भीतर कई क्षेत्रों में दुनिया की आधी आबादी को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। हमें इस अनमोल संसाधन की हिफाज़त करने और दोबारा उपयोग में लाने के नए तरीकों को ढूंढने की जरूरत है, ताकि पानी हर किसी के लिए उपलब्ध हो सके। भारत और दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि, हम बच्चों को पर्यावरण और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशील बनाएँ। शिव नादर स्कूल ने हमेशा से ही सस्टेनेबिलिटी पर विशेष ध्यान दिया है। मेरा मानना है कि, शिक्षा न केवल निजी तरक्की के साधन की तरह काम करती है, बल्कि समाज में बदलाव को प्रोत्साहित करने में भी अहम भूमिका निभाती है। हमारे हर छात्र ने आज जो शपथ ली है, उसमें इस बात की झलक दिखाई देती है कि हम सभी का वजूद एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। यह शपथ सिर्फ वादे से कहीं बढ़कर है; यह धरती की देखभाल करने वाले के रूप में हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी के जागरूकता का प्रतीक है।”

छात्रों को संबोधित करते हुए, डिप्टी सीईओ, मिस आरती डावर ने कहा, “आज हम निकट भविष्य में बेहद गंभीर जल-संकट के कगार पर खड़े हैं। समय की मांग यही है कि अब पानी की हिफाज़त की जाए। ‘हर बूँद मायने रखती है’ के शपथ में भाग लेकर हमने इतिहास रचा है, साथ ही हम पानी का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करने और अनगिनत जिंदगियाँ बचाने की दिशा में कार्रवाई के लिए ज़ोरदार तरीके से आवाज़ उठाते हुए लोगों को प्रेरित करने के इरादे से एकजुट होकर खड़े हैं। यहाँ हममें से प्रत्येक व्यक्ति बदलाव लाने वाला है, और आज हम जल संकट की चुनौतियों को हल करने की दिशा में अपनी जिम्मेदारी को पहचान रहे हैं। हमारी शपथ, सही मायने में जल संरक्षण की दिशा में हमारे सफ़र और आंदोलन की शुरुआत है।”

सस्टेनेबल भविष्य के लिए रिकॉर्ड तोड़ना
यह आयोजन वास्तव में पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए जोश व उत्साह से भरा उत्सव था। 2,500 से ज्यादा प्रतिभागियों ने साथ मिलकर हैंडप्रिंट पेंटिंग के ज़रिये एक शानदार कलाकृति तैयार की, जिनमें छात्रों और शिक्षकों के अलावा कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथि भी शामिल थे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के निर्णायक द्वारा आधिकारिक रिकॉर्ड के लिए इस प्रयास की बारीकी से निगरानी की गई, तथा सख्त नियमों और दस्तावेज़ीकरण प्रक्रियाओं का पालन किया गया। कुदरत की याद दिलाने वाले रंगों में पानी, समुद्र और आकाश की झलक दिखाने वाले नीले और हरे रंग को चुना गया, जो सुपर-वॉशेबल होने के साथ-साथ बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं, जो शिव नादर स्कूल के विविध रंगों को दर्शाते हैं।

शिव नादर स्कूल में ब्रांड एंड कम्युनिकेशन डायरेक्टर, वंदना मार्दा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ दिन का समापन हुआ, जिन्होंने कहा कि हम एक ऐसा समुदाय हैं जो जिम्मेदारी और अपनी धरती के प्रति सामूहिक प्रेम की गहरी भावना से एकजुट है। उन्होंने यह भी कहा कि, यह बेमिसाल सफ़र इस बात की याद दिलाता है कि, जब हम किसी नेक इरादे और जुनून से प्रेरित होकर एकजुट होते हैं तो हम क्या हासिल कर सकते हैं। यह उपलब्धि सभी के समर्पण, जुनून और दृढ़ संकल्प के बिना हासिल नहीं की जा सकती थी।

शिव नादर स्कूल सस्टेनेबिलिटी से जुड़े तौर-तरीकों को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है, और इसके प्रयासों को कई बार सराहना मिली है। अत्याधुनिक वॉटर-प्युरीफिकेशन सिस्टम को इंस्टॉल करने और समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जाँच करने सहित विभिन्न पहलों यह बात जाहिर होती है कि, स्कूल जल संरक्षण के अपने संकल्प पर अटल है। इन सब बातों के अलावा, स्कूल वर्कशॉप तथा इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स के ज़रिये भी अपने छात्रों को जल संरक्षण के बारे में शिक्षित करता है। स्कूल डुअल फ्लशिंग सिस्टम और वर्षा जल संचयन-प्रक्रिया जैसे उपायों को अपनाकर जल संरक्षण को बढ़ावा देता है, और इस तरह पर्यावरण के स्थायित्व में अहम योगदान दे रहा है।

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