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Faridabad NCR

सोनू नवचेतना फाउंडेशन ने 123 परिवारों को एक महीने का राशन उपलब्ध कराया

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 6 मई सेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही सोनू नवचेतना फाउंडेशन ने 123 परिवारों को एक महीने का राशन उपलब्ध कराया। सोनू नवचेतना फाउंडेशन जरूरतमंद परिवारों को एक महीने का पूरा राशन मुहैया करा रही है, जिसमें 22 से 25  किलो की किट होती है। इस किट में बच्चों के लिए सैनीटाइजर, मास्क, डेटोल साबुन, 10 किलो आटा, 5 किलो चावल, दाल, नमक, हल्दी, मिर्च, धनिया आदि सामान होता है। जो एक परिवार के लिए लगभग एक महीने का पूरा राशन होता है। इसके अतिरिक्त अगर सरकारी संस्था रैडक्रास जोकि प्रतिदिन 10 हजार पैकेट बंटवाने का दावा करती है, जिसमें केवल एक मु_ी चावल होते हैं, इसमें न दाल न चीनी न तेल कुछ भी नहीं होता। केवल 5 या 9 किलो की आटे की थैली एवं चावल होते हैं। मगर इसमें सवाल यह उठता है ककि क्या यह एक महीने का राशन एक परिवार के लिए काफी है? जबकि हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद जिला के लिए लगभग 300 करोड़ रुपए राशन के लिए मुहैया कराए हैं। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि 300 करोड़ रुपए का राशन कहां उपलब्ध कराया जा रहा है, जब शहर में अधिकतर स्वयंसेवी संस्थाएं, गुरूद्वारे, मंदिर कमेटियां एवे नेतागण राशन वितरित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर फरीदाबाद में राशन बांटने की फोटो भी जारी की है, जिसमें साफ पता चल रहा है कि वो केवल आटा एवं चावल मुहैया करा रहे हैं। मगर यहां एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या गरीब परिवारों को केवल आटे एवं चावल मुहैया कराने से उनका राशन की समस्या का समाधान हो जाएगा। इसे तथ्य से भलीभांति सभी परिचित हैं कि एक परिवार को आटे एवं चावल के अलावा सब्जी, दाल, मसाले, चीनी, तेल आदि जरूरत का सामन भी चाहिए होता है। इसलिए हरियाणा सरकार केवल खानापूर्ति कर लोगों को भ्रमित करने का काम न करे। यहां तथ्य यह भी गौर करने लायक है कि रैडक्रास संस्था जो शहर की एक बहुत बड़ी संस्था है लोगों को न तो सैनीटाइजर न ही मॉस्क उपलब्ध करा रही है। सोनू नवचेतना फाउंडेशन या अन्य संस्थाओं द्वारा दी गई मदद को ही वह आगे उपलब्ध करा रही है।
रैडक्रास संस्था के पदाधिकारी नहीं उठाते किसी का फोन, क्या करेंगे लोगों की मदद ?
जिला रैडक्रास सचिव विकास गुप्ता एवं सहायक सचिव पुरूषोत्तम सैनी किसी अंजान व्यक्ति का फोन ही नहीं उठाते, जबकि वो पूरे जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वो केवल अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के पास जाकर फोटो खिंचवा लेते हैं और समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के लिए खबर भेज देते हैं। इससे साफ पता चलता है कि रैडक्रास सोसायटी कितनी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और फोन न उठाने वाले अधिकारी किस हद तक लोगों को मदद मुहैया करा रहे हैं।
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