Faridabad NCR
राष्ट्र निर्माण के लिए परोपकार की भावना से काम करें छात्रः कुलपति प्रो. तोमर
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 20 जुलाई। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने आज छात्रों से प्रकृति से निःस्वार्थ सेवा की सीख लेने का आह्वान करते हुए कहा कि एक बेहतर समाज एवं राष्ट्र निर्माण लिए छात्र परोपकार की भावना से काम करें।
प्रो. तोमर विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे एक माह के पौधरोपण अभियान के तहत एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेवानिवृत्त कार्यकारी अभियंता श्री. बी.एल. कत्याल मुख्य अतिथि थे। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा जुलाई माह को हरियाली पर्व के रूप में मनाया जा रहा है और इस अवसर को चिह्नित करते हुए वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों को वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय आगमन पर प्रो. तोमर ने श्री कत्याल को एक पौधा भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग, डीन (कॉलेज) प्रो. तिलक राज, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो लखविंदर सिंह, पर्यावरण इंजीनियरिंग की अध्यक्ष (प्रभारी) डॉ रेणुका गुप्ता, और डीएसडब्ल्यू कार्यालय एवं वसुंधरा ईसीओ क्लब के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। मुख्य अतिथि श्री कत्याल ने पौधरोपण अभियान में हिस्सा लिया तथा विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर पौधा भी लगाया।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री. बी.एल. कत्याल, जिन्होंने वर्ष 1969 में कार्यकारी अभियंता के रूप में तत्कालीन वाईएमसीए इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के निर्माण में अहम भूमिका निभाई तथा सीमित संसाधनों के साथ संस्थान के निर्माण को सुनिश्चित किया, ने उस दौर के घटनाक्रम को विद्यार्थियों के साथ साझा किया। श्री कत्याल ने बताया कि किस तरह से इंस्टीट्यूट के पूरे परिसर का निर्माण कार्य 50 लाख रुपये की कुल स्वीकृत राशि के मुकाबले केवल 45 लाख रुपये पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय उस समय की उस टीम को जाता है जिसने इस कार्य को एक चुनौती के रूप में लिया और समर्पित भाव एवं ईमानदारी से काम किया और उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया। इसी प्रकार पौधारोपण एक ऐसी गतिविधि है जिसमें हमें पूर्ण समर्पण के साथ अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम ईमानदारी और लगन से काम करें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. तोमर ने कहा कि वाईएमसीए इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट जैसी परियोजना का निर्माण सीमित धनराशि में करना उस समय की बड़ी उपलब्धि है जोकि उस समय की तकनीकी के अनुरूप एक बेहतरीन भवन था। इस भवन में हजारों छात्रों को आश्रय दिया है। इसी तरह हम प्रकृति में निवेश द्वारा बड़ा बदलाव ला सकते है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए मूल्यवान संसाधन सृजित कर सकते हैं। प्रो. तोमर ने परोपकार की अवधारणा को विस्तार से बताया और इसे राष्ट्र निर्माण से जोड़ा। कार्यक्रम के अंत में प्रो. तिलक राज ने धन्यवाद ज्ञापित किया।