Connect with us

Faridabad NCR

9 वर्षीय बच्चे की पित्त की थैली का सफल ऑपरेशन: बच्चों में भी हो सकती है यह समस्या

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : पित्त की थैली में पथरी (गॉल ब्लैडर स्टोन) बनने की समस्या केवल बड़े लोगों में ही नहीं होती है, बल्कि बच्चे भी गॉल ब्लैडर स्टोन की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में बदरपुर नई दिल्ली से पित्त की थैली में पथरी की गंभीर समस्या के साथ आए 9 वर्षीय संस्कार शर्मा का सफल इलाज डॉ. सचिन मित्तल और डॉ. बिरबल कुमार ने रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से किया।

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में रोबोटिक, मिनिमली इनवेसिव, बैरिएट्रिक एवं जनरल सर्जरी विभाग के एसोसिएट क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी यूनिट-2 डॉ. सचिन मित्तल ने बताया कि हमारे पास एक 9 साल का बच्चा आया जिसके गॉल ब्लैडर में स्टोन था और उसके पेट में दर्द रहता था। उसे खाना खाने में भी दिक्कत रहती थी। अल्ट्रासाउंड कराने पर पता हमें चला कि मरीज की पित्त की थैली में पथरी हैं और सूजन है। इस समस्या से बच्चा लगभग एक साल से जूझ रहा था। परिजन किसी अन्य डॉक्टर से साल भर से दवाएं ले रहे थे और कोशिश कर रहे थे कि यह समस्या दवाओं से ही ठीक हो जाए। लेकिन दवाइयां लेने के बावजूद बच्चे को आराम नहीं मिला। फिर सर्जरी के लिए बच्चे को हमारे पास लाया गया। इसलिए मरीज का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। हमने लेप्रोस्कोपी से 3 एमएम के छोटे इंस्ट्रूमेंट से ऑपरेशन कर पित्त की थैली को निकाल दिया। ऑपरेशन के दो घंटे बाद ही बच्चे को खाने-पीने को दिया और उसे चला दिया। बच्चे ने रिकवरी बहुत तेजी से की। इसलिए अगले दिन उसे डिस्चार्ज कर दिया।

डॉ. सचिन मित्तल ने कहा कि छोटे बच्चों में गॉल ब्लैडर में स्टोन की समस्या पाई जा सकती है और उन्हें परेशान भी कर सकती है। अगर छोटे बच्चों में भी पित्त की थैली में पथरी है और बच्चे को परेशानी हो रही है तो इसका इलाज भी ऑपरेशन ही है। इसे नजरअंदाज न करें। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और अगले दिन मरीज को डिस्चार्ज किया जा सकता है। इस ऑपरेशन में हमें मात्र 35 मिनट का समय लगा। बड़े लोगों में गालब्लैडर में स्टोन की समस्या कोलेस्ट्रोल की वजह से होती है लेकिन बच्चों में कुछ आनुवंशिक कारणों या मेटाबोलिक से संबंधित बदलावों की वजह से कई बार गालब्लैडर में स्टोन बन सकते हैं। कई बच्चों में खून से जुडी समस्या जैसी हीमोग्लोबिन टूटने से भी पित्त की थैली में पथरी बन सकती है। पित्त की थैली निकाल देने से मरीज को कोई समस्या नहीं होती है क्योंकि पित्त लिवर में बनता है और गॉल ब्लैडर सिर्फ एक गोदाम मात्र होता है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com