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आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं हो सकता : डॉ रुचिरा

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 10 सितम्बर। राजकीय महाविद्यालय फ़रीदाबाद की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ रूचिरा खुल्लर ने कहा कि आत्महत्या कभी भी किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। जीवन बहुत अनमोल है, दुनिया भर की दौलत लूटाकर भी हम एक पल का जीवन खरीद नहीं सकते हैं।
स्टीफन हॉकिंग दिव्यांग होकर भी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध विद्वान वैज्ञानिकों में से एक थे। कमी ढूंढने से मिलती है, लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते हैं, उन्हें हर चीज अपने कदमों तले नजर आती है।
डॉ रुचिरा आज यहाँ “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” के अवसर पर आयोजित सेमिनार को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने इस अवसर पर उन्हीने जीवन के मायने समझाते हुए कहा कि कामयाब होने के लिए इंसान को सकारात्मक सोच और मजबूत इरादों की जरुरत होती है। संघर्ष जीवन का हिस्सा है, बस किसी का संघर्ष कम या अधिक होता है, इसके बगैर जीवन का मोल हमें समझ नहीं आता। गलत रास्ते पर चलने के लिए डर कर जीना होता है, लेकिन जो सच्चाई के मार्ग पर होता है वो हर दम निडर और भयमुक्त जीवन जीता है। ज़िंदगी का मोल उससे पूछो जिनके पास चन्द लम्हों का जीवन बचा हो और वो खूब जीना चाहते हैं। ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है, और आत्महत्या कायरता और बुजदिली का नाम है।
डॉ खुल्लर ने कहा कि हमारी ज़िंदगी दूसरों की देन है, इसे खत्म करने का हक़ हमे नहीं है। विश्व के सभी प्रकार के प्राणियों में मनुष्य ही एक ऐसा सामाजिक प्राणी है जो अन्य प्राणियों के मुकाबले शारीरिक और मानसिक तौर मजबूत होकर भी आत्महत्या जैसा गलत कदम उठाता है। समय लगातार परिवर्तनशील है, वो कभी भी एक सा नहीं रह सकता, समय बलवान है, यह हर चीज सीखा देता है, वक्त अच्छा हो या बुरा, बदलेगा जरूर।
मुख्य वक्ता के रूप में बी.के. हॉस्पिटल से प्रीती यादव ने कहा कि दुनिया भर में हर साल 10 सितम्बर को “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाना है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम, “कार्रवाई के माध्यम से आशा जगाना” है। उन्हीने कहा कि हम सभी लोग अपने-अपने स्तर पर, एक परिवार के सदस्य, मित्र, सहकर्मी, आस-पड़ोसी, व्यावसायिक, अधिकारी, सामाजिक राजनीतिक नेता और सरकार के तौर पर आत्महत्या को रोकने के लिए कार्रवाई कर सकते हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. अरूण लेखा, डॉ. जोरावर सिंह, डॉ. हरवंश चौधरी, डॉ. अंकित कौशिक, डॉ. विशाल सिंह, डॉ. तरूण अरोडा, डॉ. सबीना सिंह, डा. मोनिषा चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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