Faridabad NCR
महाद्वीपीय संस्कृति से जुड़ने और हरियाणवीं संस्कृति को वैश्विक मंच देने में सफल रहा सूरजकुण्ड मेला
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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 24 फरवरी। महाद्वीपीय कलाकारों की सांस्कृतिक, कलात्मक भागीदारी से लेकर हरियाणवीं संस्कृति को वैश्विक मंच उपलब्ध कराने में 38वां सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला कामयाब रहा। देश, विदेशों से उमड़े लाखों पर्यटकों की हाजिरी से जहां पर्यटकों का पिछला रिकार्ड टूटा, वहीं बेहतर प्रबंधन और हस्तशिल्प, हथकरघा व सांस्कृतिक कलाकारों को भरपूर कारोबारी व मान-सम्मान मिला।
विरासत व पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय एकता, कला व संस्कृति की विविधता के भरपूर प्रचार-प्रसार के संकल्प को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में 38वें सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले के माध्यम से पूरा किया गया। पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने बताया कि थीम स्टेट ओडिशा, मध्य प्रदेश व बिम्सटेक भागीदार देश नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड समेत 44 देशों के 644 प्रतिभागियों ने भागीदारी की। अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का 38वां संस्करण कई मायनों में खास रहा। सूरजकुण्ड मेला में पहली बार स्टॉल देने के लिए ऑनलाइन आवेदन करवाते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि कारोबारियों की जगह अलग-अलग राज्यों व देशों के शिल्पियों, बुनकरों को भरपूर मौका दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान को गति देते हुए डिजिटल पेमेंट प्रणाली को बढ़ावा दिया गया। 44 देशों से आए अंतरराष्ट्रीय कारीगरों व बुनकरो को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। सूरजकुण्ड मेला में इस बार महाद्वीपीय सांस्कृतिक समृद्धता से भरपूर अफ्रीका, एशिया व यूरोप के नृत्य, गायन कलाओं का मंचन हुआ। पहली बार सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए स्टेज की संख्या 2 से बढ़ाकर 4 की गई। इसमें चौपाल पर वैश्विक संस्कृति को मजबूत करने के मकसद से प्रतिदिन 10 देशों के कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई। मिनी चौपाल पर हरियाणा व अन्य राज्यों के पारंपरिक कलाकारों की प्रस्तुति, नाट्यशाला मंच पर स्कूल व कालेज के विद्यार्थियों को अवसर देते हुए प्रतिदिन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई, वहीं महा स्टेज पर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई।
पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने बताया कि 15 राज्यों की विविधता से भरपूर व्यंजनों का इस बार फूड कोर्ट में लुत्फ उठाया गया। इसके साथ-साथ दर्जन भर वैश्विक ब्रांड्स को भी मेले में स्थान दिया गया था। प्रादेशिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए थीम स्टेट ओडिशा, मध्य-प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, तमिलनाडु व गोवा के पैवेलियन भी स्थापित किए गए, ताकि अलग-अलग राज्यों के साथ पर्यटन भागीदारी को नई दिशा दी जा सके। गत वर्ष सूरजकुण्ड मेले में 13 लाख 10 हजार पर्यटक पहुंचे थे, जबकि इस बार रिकार्ड तोड़ 18 लाख पर्यटकों ने मेले में भागीदारी की। मेला, पार्किंग क्षेत्र व यातायात के बेहतर प्रबन्धन के लिए 2000 से अधिक पुलिस जवानों ने मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी दी और 600 सीसीटीवी कैमरों से पूरे मेला मैदान की निगरानी की गई। कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि इस बार सूरजकुण्ड मेले में हरियाणवीं सांस्कृतिक समृद्धता को वैश्विक मंच दिया गया। पारम्परिक नगाड़ा, बीन, कच्ची घोड़ी, लोक गीत, सारंगी, ईकतारा, डेरु आदि लुप्त हो रही संस्कृतियों का पर्यटकों ने भरपूर आनंद लिया। प्रदेश के अलग-अलग कोनों से 48 टीमों के माध्यम से 322 कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।