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टाबर उत्सव शिविर का हुआ समापन एक महीने में टाबर ने सिखी अदभुत मूर्तिकला : राकेश गौतम

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 30 जून। हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग व शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में स्कूल स्तर के 5वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए 30 जून तक 30 दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर ‘टाबर उत्सव-2023’ का आयोजन राज्य के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 15 में संपन्न हुआ। जिसमें प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक विद्यार्थियों को आधुनिक मूर्तिशिल्प क्ले मॉडलिंग, रिलीफ एवं 3डी स्कल्पचर आर्ट में हरियाणवी संस्कृति पर आधारित प्रशिक्षण दिया गया।

डीआईपीआरओ राकेश गौतम ने बताया कि टाबर उत्सव अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर, महानिदेशक डा. अमित अग्रवाल, शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अंशज सिंह के मार्गदर्शन में कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी (मूर्तिकला) हृदय प्रकाश कौशल तथा कार्यक्रम अधिकारी (कल्चर) पूनम अहलावत की देखरेख में किया गया। इस ग्रीष्मकालीन शिविर ‘टाबर उत्सव’ का उद्देश्य हरियाणा राज्य के होनहार छात्र-छात्राओं को मूर्ति शिल्प कला में अपनी प्रतिभा निखारने व राज्य में लुप्त हो रही मूर्तिकला के विकास के उद्देश्य के साथ-साथ राज्य में होनहार कलाकारों को मार्गदर्शन देने के लिए सरकारी स्कूल स्तर के विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में तकनीकी दृष्टिकोण प्रयोगात्मक अभ्यास के साथ लर्निंग बाय डूइंग प्रोसेस के माध्यम से मूर्ति शिल्प व क्राफ्ट की सौंदर्यात्मक एवं विभिन्न माध्यमों में तकनीकी प्रशिक्षण देना था।

डीआईपीआरओ राकेश गौतम ने बताया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान छात्र-छात्राओं का रचनात्मक/कलात्मक विकास होगा। साथ ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बालक-बालिकाओं को एक स्थान पर एकत्रित कर उस क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षण हॉबी क्लासेस के रूप में विद्यार्थियों को मूर्तिकला का निशुल्क प्रशिक्षण दिया। इससे सभी विद्यार्थी भविष्य में कला प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर भाग लेने के साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की मूर्तिशिल्प प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 15 की प्रधानाचार्य पूनम तनेजा ने बताया कि मूर्तिशिल्प एक मात्र ऐसा विषय है जिसमें सभी विषयों का अध्ययन एक साथ हो जाता है। शारिरिक, मानसिक एवं बौधिक ज्ञान को नवीनता प्रदान करता है। हरियाणा राज्य में लुप्त होती मूर्तिकला का विकास एवं विभिन्न माध्यमों में जैसे धातु, लकड़ी, पत्थर, पीओपी, टेराकोटा, कांच, वेल्डिंग, सिरामिक आदि माध्यमों से भी अवगत करवाया जाएगा। कक्षाओं प्रयोगात्मक व रोचक बनाने के लिए लाईव मोडल डेमो से भी करवाया जाएगा। राज्य के लगभग 1200 से 1500 विद्यार्थी इन 30 दिनों में तकनीकी व कलात्मक दृष्टकोण से लाभान्वित होंगे।

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