Nuhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : मेवात इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्रोफेसर वसीम अकरम ने कहा कि रमज़ान का मुबारक महीना खत्म होने को है और ईद आने को है लेकिन इस बार ईद पर लॉक डाउन की वजह से ईदगाहों में नमाज नहीं होगी और कई सारी बंदिशे होंगी। ऐसे में सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखना भी बड़ा जरूरी है और हमारी जिम्मेदारी भी।
प्रोफेसर वसीम अकरम ने बताया कि ईद का दिन अल्लाह से इनाम लेने का दिन होता है। इस दिन लोग स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं और नए-नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ने मस्जिद जाते हैं। साथ ही हर किसी को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।
लेकिन इस बार कोरोना ने देश दुनिया को परेशान कर रखा है, लाखों लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। भारतीय सरकार ने बीमारी को फैलने से रोकने के लिए लॉक डाउन, सोशल डिस्टेंस आदि लागू किए हुए हैं जो जरूरी भी हैं। ऐसे में ईद के त्योहार पर हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इन नियमों का हम पालन करें और त्यौहार को अपने घर पर ही सावधानी से मनाएं। और देश दुनिया से इस कोरोना बीमारी को खत्म करने की दुआ करें।
प्रोफेसर वसीम अकरम ने कहा कि इस बार अपने आस पास रह रहे गरीब या जरूरत मंद लोगों का ख्याल रखें, और कोशिश करें कि उनकी भी ईद मन जाए चाहे खुद की खरीददारी ना हो। इस बार ईद पर होने वाले खर्चे को जरूरतमंद के नाम करें ताकि उनके चेहरे पर भी ईद की खुशी आ सके। लॉक डाउन की वजह से बेरोजगार हुए गरीबों का ख्याल रखना सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी बनती है।
प्रोफेसर वसीम अकरम ने कहा कि मिल जुल कर सभी इस ईद को मनाए भी और नियमों का पालन भी करें।