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Faridabad NCR

साहित्य और संस्कृति का परचम विदेशी धरती पर फहराया

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Hindustanabtak.com/Dinesh bhardwaj : शब्द यात्रा ने एक बार फिर मातृभाषा हिंदी, भारतीय साहित्य और संस्कृति का परचम विदेशी धरती पर फहराया। गुरुग्राम की शारदा मित्तल और प्रीति मिश्रा द्वारा स्थापित और संचालित शब्द यात्रा मंच ने जार्डन की श्रीमती मुदिता गर्ग द्वारा संस्थापि अभिव्यक्ति मंच के साथ मिलकर जॉर्जिया के त्बिलिसी शहर के रॉयल ट्यूलिप होटल की सभागार में अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन का भव्य आयोजन किया, जिसमें भारत के अनेक राज्यों से आए लोगों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
मुख्य अतिथि के रूप में फरीदाबाद से एसएसबी मल्टी स्पेशलिटी और हार्ट इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा बंसल उपस्थित रहीं। अध्यक्षता पूर्व जॉइंट कमिश्नर एक्साइज और रेडियो बूज के डायरेक्टर डॉ. मुकेश गंभीर जी ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुंबई से आई माधुरी वराडे एफ़ & सी ए ओ मुंबई पोर्ट अथोरिटी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में इंदौर से आए परमाणु वैज्ञानिक डॉ. राजीव खरे और उनकी पत्नी सविता खरे, विनय कुमार, सरोजिनी चौधरी (हरियाणा से), कोलकाता से अजीत कुमार नायक और श्रीमती सुनंदा नायक, चंडीगढ़ से रिटायर्ड प्रिंसिपल श्रीमती नीलम मलिक, सुप्रसिद्ध रचनाकार श्रीमती रेखा मित्तल, लेक्चरर और पंजाबी की सुप्रसिद्ध कवियत्री श्रीमती सतबीर कौर, कानपुर से श्री प्रदीप मिश्रा और रेखा मिश्रा, फरीदाबाद से शिक्षाविद अनु चड्डा, रिटायर्ड काॅलिज़ प्रिंसीपल मुकेश कुमार, डॉ. रश्मि चौधरी और डॉ. रेखा मिश्रा, गुरुग्राम से इंजीनियर एवं गजलकार विनय कुमार, शिक्षाविद ममता कांति कुमार, सुरेश चंद्रा, वेदिका गोयल, मयंक गोयल, नीता चंद, सोनिया बंसल, अभिषेक,अंशु अग्रवाल की विशेष उपस्थिति रही।
मुंबई से आई प्रोफेसर भारती पाटिल ने भरतनाट्यम की अद्भुत प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। मुदिता गर्ग द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘बिखरे हों हरसिंगार ज्यों’
तथा डा.रेखा मिश्रा द्वारा रचित ‘खुश्बू रुहानी ‘ और ‘रूह की खुश्बू’ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम की इस शानदार सफलता का एक बड़ा कारण इसका संचालन था, जिसे फिल्म उद्योग से जुड़े श्री संजीव कुमार ने बखूबी निभाया। वे वर्तमान में शंकर महादेवन, अनूप जलोटा और अंजन भट्टाचार्य के साथ काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी आप सबके सहयोग से इसी प्रकार यात्राओं के ज़रिए विदेशों में अपनी भाषा, सभ्यता और संस्कृति का झंडा फहराते रहेंगे।

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