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Faridabad NCR

मौखिक और लिखित संचार के महत्व को समझना होगाः प्रो. राजबीर सिंह

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 25 अप्रैल। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में अनुसंधान एवं शिक्षा में कौशल पुनर्रचना पर पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम  आज शुरू हो गया। कार्यक्रम का आयोजन संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग (सीएमटी) द्वारा विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सहयोग से किया जा रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह और विशिष्ट अतिथि के रूप में एनपीटीआई के महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर की गरिमामयी उपस्थिति से हुआ। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग भी उपस्थित थे। सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। कार्यक्रम का उद्घाटन पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके उपरांत सीएमटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवन सिंह मलिक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्हें कार्यक्रम के विविध विषयों से परिचित कराया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप कौशल विकास और शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला तथा विभाग द्वारा पहली बार फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित करने के लिए संकाय सदस्यों को बधाई दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यअतिथि प्रो. राजबीर सिंह ने अनुसंधान और शिक्षा में मौखिक संचार कौशल और लिखित संचार कौशल के महत्व पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा के तीन महत्वपूर्ण कौशल अर्थात हार्ड स्किल्स, सॉफ्ट स्किल्स और लाइफ स्किल्स और वर्तमान परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से बताया।
अपने संबोधन में कुलपति प्रो एस.के. तोमर ने संकाय सदस्यों द्वारा परस्पर संवाद एवं भविष्य के लिए शोध एवं शैक्षणिक कार्यों की पहचान के लिए इस तरह के विकासात्मक आयोजनों को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए नई शिक्षण तकनीकों को जानना और समझना समय की मांग है। अनुसंधान के क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रो. तोमर ने शोध के विभिन्न पहलुओं से परिचित करवाया तथा अनुसंधान एवं शोध सुविधाओं को उन्नत बनाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही पहलों के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनपीटीआई की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर ने जीवन दर्शन में पंचमहाभूत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऊर्जा के क्षेत्र में उभरते वैश्विक रुझानों पर अवलोकन प्रस्तुत तथा भारत को ऊर्जा क्षेत्र में महाशक्ति बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की भी सराहना की।
इससे पहले, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. नरेश चौहान ने अनुसंधान सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर एक सांख्यिकीय अवलोकन प्रस्तुत किया तथा विश्वविद्यालय के अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ के अंतर्गत चलाई जा रही विभिन्न शोध गतिविधियों, पेटेंट, अनुदान और अनुमोदन से परिचित करवाया।
सत्र के अंत में, डॉ. सोनिया हुड्डा, सहायक प्राध्यापक ने सभी प्रतिभागियों, गणमान्य व्यक्तियों तथा प्रतिभागियों को औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम  में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागाध्यक्षों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का आयोजन फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज के डीन प्रो. अतुल मिश्रा के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

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