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पुरुषों की बजाय महिलाओं में यूरिन लीकेज की समस्या ज्यादा : डॉ. राजीव सूद

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Faridabad Hindustanabtak.com/DineshBhardwaj : 23 जून। “वर्ल्ड कॉन्टिनेंस वीक” मनाने के लिए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग ने लोगों के बीच एक साप्ताहिक जागरूकता अभियान चलाया। यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस एक ऐसी कंडीशन है जिसमें ब्लैडर पर कंट्रोल न होने से यूरिन लीकेज हो जाता है। यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के चेयरमैन डॉ. राजीव सूद ने कहा, “चूंकि हम 17 से 23 जून 2024 तक वर्ल्ड कॉन्टिनेंट वीक मना रहे हैं, इसलिए इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में यूरोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के चेयरमैन डॉ. राजीव सूद ने बताया कि अगर छींकने, खांसने, तेजी से हंसने और कूदने पर पेशाब निकल जाने को यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस यानी यूरिन लीकेज की समस्या कहा जाता है। इस समस्या को लेकर कई लोग एक दूसरे को नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें लक्षणों को बताने में शर्म आती है इसलिए वे चुप्पी साधे रहते हैं। यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस की समस्या तब होती है जब बढ़ती उम्र, स्ट्रेस (तनाव)), मोटापा, पेल्विक फ्लोर में चोट, न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारी, पेशाब को लम्बे समय तक रोकने की आदत, पुरुषों के ब्लैडर इ आसपास प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने और पहले से ही कोई पेशाब संबंधी बीमारी के कारण पेल्विक एवं ब्लैडर को सपोर्ट करने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। यह पुरुष-स्त्री दोनों को प्रभावित करती है। पुरुषों की तुलना में 30-60 आयु वर्ग की महिलाओं में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या अधिक देखने को मिलती है क्योंकि ऑब्सटेट्रिक ट्रॉमा, हिस्टेरेक्टॉमी और मेनोपॉज के साथ-साथ डायबिटीज, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, उम्र बढ़ने और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की वजह से महिलाओं के पेल्विक फ्लोर को क्षति पहुंचती है। वहीं पुरुष न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, कॉग्निटिव डिसऑर्डर, दर्दनाक मस्तिष्क की चोट, स्ट्रोक और पोस्ट प्रॉस्टेटेक्टोमी के कारण यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस का शिकार हो सकते हैं।

डायबिटीज और मोटापा से ग्रस्त लोगों में मूत्राशय का फंक्शन प्रभावित हो सकता है। खून में एक्स्ट्रा शुगर होने से प्यास ज्यादा लगती है, जिससे बार-बार पेशाब आता है। डायबिटीज की वजह से मूत्राशय का नर्व भी क्षतिग्रस्त हो जाती है, इस समस्या को डायबिटिक साइटोपैथिक कहा जाता है। नर्व डैमेज के कारण आंतों और मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसें प्रभावित हो जाती हैं। इसलिए खासकर डायबिटीज मरीजों को अपने ब्लड शुगर के लेवल को मैनेज करने और मूत्राशय से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होने पर मूत्र रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट करने की सलाह दी जाती है।

डॉ. राजीव सूद ने कहा कि कुछ खाद्य पदार्थ, ड्रिंक्स और दवाएं आपके पेशाब करने के तरीके या आप कितना पेशाब करते हैं, आदि को प्रभावित करती हैं क्योंकि ये फैक्टर आपके मूत्राशय को उत्तेजित करते हैं और पेशाब की मात्रा बढ़ाते हैं। कैफीन, शराब, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, मिर्च, चॉकलेट, आर्टिफिशियल मिठास, चीनी, जंक फ़ूड, मसाले या एसिड वाले खाद्य जैसे कि खट्टे (फल,संतरा, अनानास में एसिड की मात्रा ज्यादा होती है जो आपके मूत्राशय के लिए समस्या पैदा कर सकती है। टमाटर और करोंदा का सेवन भी ठीक नहीं है क्योंकि इसमें भी एसिड की मात्रा पाई जाती है।), हाई ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं, विटामिन सी का ओवर डोज, कब्ज और धूम्रपान के कारण यह समस्या बढ़ जाती है।

सलाह:

· यदि आपको यह समस्या काफी दिनों से हो रही है, तो आप मूत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। इस समस्या को नजरअंदाज करने से अन्य शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं।

· तरल पदार्थ का खूब सेवन करें। पानी अधिक पिएं।

· पेशाब को घंटों रोक कर ना रखें क्योंकि जितना अधिक समय तक मूत्राशय में मूत्र को रोक कर रखते हैं, आपके मूत्राशय की मांसपेशियां उतना ही ज्यादा कमजोर हो जाती हैं जिससे यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस हो जाता है। पेशाब को रोककर रखने से मूत्राशय में बैक्टीरिया का निर्माण हो सकता है जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।

· तले-भुने एवं भारी मसालेदार खाद्य पदार्थ, जंक फ़ूड की बजाय घर में बना संतुलित आहार खाएं।

· चाय या कॉफी,कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके ब्लैडर पर असर पड़ सकता है। कैफीन मूत्राशय में जलन पैदा कर सकता है, जिससे पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाती है, या पेशाब का रिसाव बढ़ सकता है।

· पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज, कीगल एक्सरसाइज करें क्योंकि ये यूरिनरी इनकंटीनेंस की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकती हैं।

· अधिक मानसिक तनाव लेने से बचें

· धूम्रपान एवं शराब के सेवन से दूर रहें

· डॉक्टर की सलाह अनुसार नियमित व्यायाम एवं आहार पर नियंत्रण कर शरीर के वजन को कंट्रोल में रखें

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