Faridabad NCR
डायबिटीज मरीजों में बढ़ रहा किडनी रोग का खतरा : डॉ. जितेंद्र कुमार

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 22 अप्रैल। भारत में डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज से ग्रस्त हैं। इससे फरीदाबाद भी अछूता नहीं है। यहां भी डायबिटीज मरीजों की संख्या काफी है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से करीब एक-तिहाई मरीज किडनी की बीमारियों से भी जूझ रहे हैं।और इस से भी ज़्यादा चिंताजनक बात है की अधिकतर लोगों को पता भी नहीं है की उन्हें किडनी की समस्या है
ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर 86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के सीएमडी एवं नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि लंबे समय तक ब्लड शुगर का उच्च स्तर किडनी की नाजुक रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनका कार्य बाधित हो सकता है।
वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र ने बताया कि किडनी का मुख्य कार्य शरीर से विषैले पदार्थों को छानकर बाहर निकालना होता है। इसके अलावा यह रक्तचाप को नियंत्रित करने और शरीर में तरल संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है, ताकि किडनी पर दबाव न पड़े।
उन्होंने कहा कि यदि किसी मरीज का फास्टिंग शुगर 90 से 130, भोजन के बाद का ग्लूकोज स्तर 100 से 180 और एचबीए 1सी सात प्रतिशत से ऊपर है, तो ऐसे मरीजों को किडनी की विशेष देखभाल करनी चाहिए। उच्च रक्तचाप का लंबे समय तक नियंत्रण में न रहना भी किडनी की बीमारी को जन्म दे सकता है। उन्होंने कहा कि समय रहते सावधानी बरतकर और नियमित जांच कराकर किडनी को गंभीर नुकसान से बचाया जा सकता है।
किडनी की बीमारी के लक्षण
पैरों में सूजन, बार-बार थकान, खून की कमी, धुंधली नजर, अचानक वजन घटना और पेशाब में झाग आना प्रमुख हैं।
इन कारणों से भी हो सकता किडनी रोग
मोटापा, धूम्रपान, बढ़ती उम्र, पारिवारिक इतिहास, और कोलेस्ट्रॉल-ट्राइग्लिसराइड्स का असंतुलन भी किडनी को प्रभावित कर सकता है।
ये जांच कराए
किडनी की सेहत की जांच के लिए केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट) कराया जाना चाहिए। इसमें सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया, यूरिक एसिड और पेशाब में प्रोटीन की मात्रा मापी जाती है। यदि ईजीएफआर 90 से कम है और पेशाब में प्रोटीन पाया जाता है, तो यह किडनी के कमजोर होने का संकेत हो सकता है। डायबिटीज में किडनी की बीमारी होने का पहला सूचक है माइक्रोएल्ब्यूमिन टेस्ट जिसके 30 से अधिक का स्तर होने का मतलब है कि अब किडनी पर डायबिटीज का असर शुरू हो गया है। ये जांच सभी डायबिटीज वालों को करवा के एक बार नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखा लेना चाहिए।