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संस्कृत साहित्य में विद्यमान है विश्वशांति की भावना : डॉ सविता भगत

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय फरीदाबाद के संस्कृत विभाग द्वारा 21 सितंबर विश्व शान्ति दिवस के उपलक्ष्य में एक लघु व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉ सविता भगत ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि संस्कृत साहित्य में विश्व बंधुत्व, मानवता, समरसता एवं माननीय मूल्यों के आधार पर सुखी, शांत एवं समृद्ध विश्व की अवधारणा को हम वैदिक मूल्यों के आधार पर  चरितार्थ कर सकते हैं। विश्व की प्रथम पुस्तक वेद संस्कृत भाषा मे रचित ईश्वर का ज्ञान है,जो सृष्टि के आरंभ में मनुष्य के कल्याण के लिए दिया गया। वेद ‘जियो और जीने दो’ का उपदेश देते हैं। इस अवसर संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ अमित शर्मा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति शांति चाहता है,चाहे वह परिवार में हो या समाज मे हो या देश में या विश्व में। संस्कृत भाषा मे ऐसे अनेक उपदेश भरे पड़ें हैं जो शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं जैसे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’,सर्वा आशा मम मित्रम भवन्तु’ आदि। समस्त पर्यावरणीय उपादानों में भी वेद में शांति की कामना निहित है। ॐ द्यो शांति…संस्कृत साहित्य में संकीर्णता संकुचिता,पक्षपात,घृणा,जातीयता,सांप्रदायिकता,प्रांतीयता आदि दुर्भावनाओं का कोई स्थान नही है। यदि वेदों और संस्कृत साहित्य का अनुसरण किया जाये तो सर्वत्र प्रेम और सौहार्द का वातावरण स्थापित हो सकता है। हम सभी को एक दूसरे का सहयोग कर साथ मिलकर चलना चाहिए। इस अवसर पर स्नातक द्वितीय एवं प्रथम वर्ष के छात्र उपस्तिथ रहे।

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