Faridabad NCR
भक्ति करने वाले भक्त और भगवान में दूरी नहीं रहती : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : दक्षिण भारतीय सनातन धर्म की परंपरा में महान संत गोदाम्बा जी का महोत्सव आज श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम (श्री सिद्धदाता आश्रम) में विधि विधान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गोदाम्बा जी का अभिषेक कर उनका विवाह उत्सव भी आयोजित हुआ।
इस अवसर पर आश्रम के अधिष्ठाता अनंतश्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने सविधि अभिषेक आदि विधियों को पूर्ण किया। उन्होंने बताया कि गोदाम्बा को दक्षिण भारत में धर्मावलंबी आण्डाल देवी के रूप में जानते हैं। जो रामानुज परंपरा में आने वाले संत विष्णुचित्त स्वामी के घर जन्मी थीं। गोदाम्बा का मन बचपन से ही भगवान तिरूपति अर्थात् श्रीमन्नारायण की आराधना में लगता था। वह अपने पिता विष्णुचित्त स्वामी की मदद के लिए भगवान को पहनाने के फूलों के हार बनाया करती थीं।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने बताया कि गोदाम्बा की भगवान पर आसक्ति इतनी बढ़ी कि उन्होंने भगवान से विवाह करने की जिद ठान ली। जिसे भगवान के ही निर्देश पर उनके पिता विष्णुचित्त स्वामी ने स्वीकार कर लिया। विवाह उपरांत गोदाम्बा भगवान का संग करने आगे बढ़ीं और उनमें ही समा गईं। अपने मधुर गीतों के कारण ही गोदाम्बा को रामानुज संप्रदाय में आलवार संतों में शामिल की गईं। गौरतलब है कि रामानुज संप्रदाय में संतों की परंपरा में आलवारों को बड़ा स्थान प्राप्त है।
श्री गुरु महाराज ने कहा कि यह उदाहरण है कि भक्त नवधा भक्ति के किसी भी अंग में डूबकर भगवान को प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि सबसे सरल साधन होने के बाद भी भक्ति भगवान को प्राप्त करने का सर्वोच्च उपाय है। इस अवसर पर स्वामीजी ने भक्तों एवं साधु संतों को प्रसाद एवं सर्दियों से बचाव के लिए कंबल आदि प्रदान किए।