Faridabad NCR
सूरजकुंड दीपावली मेला में एक स्टॉल ऐसी जहां लकड़ी पर होती है गजब की नक्काशी, मूर्ति देख रहेंगे निहारते

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 5 अक्टूबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन व हरियाणा पर्यटन मंत्री डा. अरविंद शर्मा की देखरेख में हरियाणा के जिला फरीदाबाद के सूरजकुंड में आत्मनिर्भर भारत-स्वदेशी मेला थीम पर आयोजित किया जा रहा दीपावली मेला हरियाणा प्रदेश ही नहीं अपितु देश के अन्य राज्यों के हस्तशिल्पियों को भी अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बेहतरीन मंच प्रदान कर रहा है। सूरजकुंड दीपावली मेले में आए ऐसे ही एक हस्तशिल्पी हैं आंध्र प्रदेश से आए दशरथ अचारी। दशरथ अचारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोक व आत्मनिर्भर भारत विजन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। दशरथ अचारी को लकड़ी पर नक्काशी करने में महारथ हासिल है, जिसके माध्यम से वे लकड़ी पर गजब की नक्काशी करते हैं और लकड़ी को भगवान की मूर्तियों का रूप देते हैं। दशरथ द्वारा लगाई गई स्टॉल दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है।
दशरथ अचारी ने बताया कि लकड़ी से मूर्तियां बनाने की कला को वुड कार्विंग कहा जाता है। वे काफी समय से इस काम को कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मूर्तियां व अन्य सामान बेशक लकड़ी से बनाया जाता हैं लेकिन ये सालों तक चलती है और इनकी चमक भी सालों-साल बरकरार रहती है। मूर्तियां बनाने में संगवान, महागनी आदि लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। नक्काशी से लकड़ी पर तराशे गए भगवान श्री गणेश, भगवान बुद्ध, भगवान श्री कृष्ण, श्री वैंकटेश्वर, भगवान श्रीहरि विष्णु और तिरुपति बालाजी की मूर्तियां व अन्य सामान लोगों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
मेहनत का काम है वुड कार्विंग :
दशरथ ने बताया कि उन्हें वुड कार्विंग कला उनके पिता से विरासत में मिली है। वे काफी समय से वुड कार्विंग यानी लकड़ी से मूर्तियां व अन्य सामान बनाने का काम कर रहे हैं। इस काम में बहुत मेहनत लगती है क्योंकि इसमें मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि मूर्तियां और अन्य सामान हाथ से ही बनाया जाता है। इसमें काफी समय भी लग जाता है। क्योंकि पहले लकड़ी को काटा जाता है फिर सुखाया जाता है। हाथ से ही इन पर ड्राइंग की जाती है। फिर उसकी कटिंग करते हुए तराशा जाता है. तब जाकर ये खूबसूरत मूर्तियों का रूप लेती हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने इस पुश्तैनी काम को आगे बढ़ना चाहते हैं। वे दीपावली मेला में विभिन्न देवी-देवताओं व अन्य प्रकार की 1 फीट से 6 फीट तक की लकड़ी की मूर्तियां लेकर आए हैं। दशरथ बताते हैं कि 6 फीट की एक प्रतिमा को बनाने में करीब 6 महीने का समय लगता है।